एससी एसटी एक्ट के दोषी को न्यायालय ने सुनाई छह माह की कठोर कारावास व 16 हजार रुपए जुर्माने की सजा

ख़बर शेयर करें -

नैनीताल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट सुबीर कुमार की न्यायालय ने अनुसूचित जाति के व्यक्ति से मारपीट करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर जान से मारने की धमकी देने के दोषी को छह माह के कठोर कारावास और 16000 रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
न्यायालय में इस मामले में सुनवाई हुई। सत्र न्यायाधीश,/ विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट ने
विरेन्द्र मयाल पुत्र उमेद सिंह निवासी ग्राम नाथूजाला कोटाबाग, कालाढूंगी नैनीताल को दोषी करार देने के बाद सजा सुनाई।
अभियोजन कथनानुसार 27.03.2021 को थाना कालाढूंगी में अभियुक्त विरेन्द्र मयाल के विरूद्ध रिपोर्टकर्ता मोहन राम पुत्र स्व० रामू राम नि०-नाथूजाल कोटाबाग, कालाढूंगी, जिला नैनीताल ने इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करायी कि रिपोर्टकर्ता अनुसूचित जाति का हूँ और काश्तकारी करता हूँ। घटना के रोज करीब 7 बजे रिपोर्टकर्ता के ही गाँव का विरेन्द्र मयाल पुत्र उमेद सिंह रिपोर्टकर्ता के घर के सामने आकर गाली गलौच व जाति वाचक शब्दों कर प्रयोग कर अपमानित किया और कहा कि अपनी औकात में रहो और अभियुक्त ने यह भी कहा कि रिपोर्टकर्ता का भाई पुष्कर राम ग्राम सभा बागजाला का ग्राम प्रधान है इस जाति के व्यक्ति को ग्राम प्रधान क्यों बना दिया, 5 साल तक कोई काम ग्राम प्रधान का नहीं करने दूंगा और यह भी धमकी दी कि रिपोर्टकर्ता का भाई पुष्कर राम ग्राम प्रधान होने के पश्चात गाँव की योजनाओं की धनराशि का गबन कर अपने व अपने परिवार के खातों को भर रहा, जब रिपोर्टकर्ता ने इस बात का विरोध किया तो वह मारपीट पर उतारू हो गया, जिससे रिपोर्टकर्ता के हाथ व मुंह पर घूसा मार दिया और गाँव से भगाने की धमकी व किसी संगठन से जुड़ने की धमकी देता है और साथ ही जान से मारने मरवाने की धमकी भी देता है। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी करने वाले जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी/विशेष लोक अभियोजन अधिकारी अनुसूचित जाति जनजाति निवारण अधिनियम सुशील कुमार शर्मा द्वारा अभियोजन तथ्यों को साबित करने हेतु मामले में 8 गवाहों के बयान अंकित कराये, ग्राम सभा बागजाला के 4 अभियोजन साक्षियों द्वारा भी अभियुक्त विरेन्द्र मयाल के विरूद्ध बयान दर्ज कराये और यह बताया कि अभियुक्त विरेन्द्र मयाल द्वारा मोहन राम व ग्राम प्रधान पुष्करा राम के विरूद्ध जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया है। जब से ग्राम सभा बागजाला में पुष्कर राम ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए है तब से आये दिन अभियुक्त विरेन्द्र मयाल ग्राम प्रधान व उसके परिवार के साथ अन्नद व्यवहार कर सोशल मीडिया में गलत तथ्य डालकर बदनाम करता रहा है। सत्र न्यायाधीश/विशेष भैयायाधीश (एस०सी०एस०टी०एक्ट) नैनीताल श्री सुबीर कुमार द्वारा अभियुक्त विरेन्द्र मयाल द्वार आज दिनांक 05.08.2024 को धारा-323,504,506 भा०द०सं० व ३ एस०सी०एस०टी०एक्ट के अन्तर्गत दोषी पाया।
न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त विरेन्द्र मयाल पुत्र उमेद सिंह, निवासी ग्राम नाथूजाला, पो० कोटाबाग, थाना कालाढुंगी को विशेष सत्र परीक्षण संख्या-05 सन् 2021, थाना कालाढुंगी के मुकदमा अपराध संख्या-64 सन् 2021 में धारा-323, 504, 506 भा०द०सं० तथा धारा-3(1) (द), 3(1) (घ) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार (निवारण) अधिनियम (यथा संशोधित) के अन्तर्गत दोष सिद्ध किया जाता है।

अभियुक्त विरेन्द्र मयाल को धारा 323 भा०द०सं० के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए 01 (एक) माह के कठोर कारावास तथा मुव 1000/- एक हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने की एवज में अभियुक्त 10 (दस) दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा।
अभियुक्त विरेन्द्र मयाल को धारा 504 भा०८०सं० के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए 02 (दो) माह के कठोर कारावास तथा मुव 2000/- दो हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने की एवज में अभियुक्त 20 (बीस) दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा। अभियुक्त विरेन्द्र मयाल को धारा-506 भा०द०सं० के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए 06 (छः) माह के कठोर कारावास तथा मुव 3000/-तीन हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने की एवज में अभियुक्त 01 (एक) माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा।
अभियुक्त विरेन्द्र मयाल को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार (निवारण) अधिनियम की धारा-3(1)(द) के के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए 06 (छः) माह के कठोर कारावास तथा मुव 5000/- पांच हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने की एवज में अभियुक्त 02 (दो) माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा।
अभियुक्त विरेन्द्र मयाल को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार (निवारण) अधिनियम की धारा-3/1) (घ) के अन्तर्गत दोषसिद्ध करते हुए 06 (छः) माह के कठोर कारावास तथा मुव 5000/- पांच हजार रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड का भुगतान न करने की एवज में अभियुक्त 02 (दो) माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा।

Ad
Ad