जमरानी बांध निर्माण से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, पुनर्वास को 215 करोड़ की धनराशि विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को ट्रांसफर

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हल्द्वानी। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा है कि उत्तराखंड के जमरानी बांध बनने से ग्राउंड वाटर रिचार्ज होगा। आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन, अवसंरचनाओ और मत्स्य उत्पादन का विकास भी होगा। बांध निर्माण से पहले पुनर्वास कार्यों के लिए 215 करोड़ की धनराशि विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को ट्रांसफर हो चुकी है। सोमवार से प्रभावितों को मुआवजा वितरित करने की योजना है।
कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने कैंप कार्यालय हल्द्वानी में राजस्व और जमरानी बांध के अधिकारियों के साथ बहुप्रतीक्षित जमरानी परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक ली थी। आयुक्त ने कहा की इस परियोजना से हल्द्वानी शहर में सिंचाई, एवं पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ होगी जिसका लाभ यहां के लोगों को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के दो और उत्तराखंड के दो यानि कुल 04 जिलों में 57065 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई की जाएगी। यूपी के जिला रामपुर और बरेली को 47607 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई का पानी मिलेगा जबकि उत्तराखंड के नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों को 9458 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान की जाएगी। परियोजना से हल्द्वानी शहर को 117 एमएलडी पेयजल उपलब्ध कराया जाना है जिसको वर्ष 2051 में हल्द्वानी और काठगोदाम शहर की अनुमानित जनसंख्या 10.65 लाख को देखते हुए इसका आकलन किया गया है।

बैठक में अपर जिलाधिकारी पी आर चौहान ने बताया कि बांध प्रभावितों को सोमवार से मुआवजा वितरित करने की योजना है। डीजीएम बीबी पांडेय ने बताया कि जमरानी बांध परियोजना के पहले चरण का कार्य 15 सितंबर से शुरू कर दिया जायेगा। लगभग 3700 करोड़ रुपए की लागत से 2029 तक निर्माण कार्य पूरा होना है। उन्होंने बताया की पुनर्वास स्थल प्राग फार्म में अवस्थापना कार्य के लिए टाउन शिप प्लानिंग का कार्य wapcos लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में सर्वे का कार्य पूरा कर मास्टर प्लान तैयार करने का कार्य गतिमान है। बांध निर्माण कार्य हेतु सर्वप्रथम संपर्क मार्ग बनाया जाएगा और बरसाती सीजन में कार्य सुचारू रूप से संचालित किए जाने के लिए गोला नदी का जल निकासी हेतु दो ऑफर डैम और टनल बनाई जाएगी।

गौरतलब है कि परियोजना के डूब क्षेत्र में 06 गांव की 49.71 हेक्टेयर निजी भूमि जलमग्न और 1267 परिवार प्रभावित हो रहे है। पुनर्वास नीति के अनुसार डूब क्षेत्र में प्रथम श्रेणी के 213, द्वितीय श्रेणी के 821,और तृतीय श्रेणी के 233 प्रभावित परिवार वर्गीकृत है।

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