हल्द्वानी । इस घूमती दुनिया में प्रो प्रभात उप्रेती का साहित्य, संवाद और उनकी लेखन यात्रा के छह दशक विषय पर रविवार को डहरिया के एक पब्लिक स्कूल में संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में वक्ताओं ने प्रभात उप्रेती के साहित्य और उनके लेखन पर अपनी बात रखी। इस दौरान उनका नागरिक अभिनंदन भी किया गया।
प्रभात उप्रेती के लेखन पर संगोष्ठी और उनके नागरिक अभिनंदन का आयोजन क्रिएटिव उत्तराखंड , म्यर पहाड़ और समय-साक्ष्य प्रकाशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
प्रभात उप्रेती के साहित्य पर बोलते हुए प्रसिद्ध कथाकार ओमप्रकाश गंगोला ने कहा कि उप्रेती के लेखन में एक प्रवाह है। वह किसी वाद से प्रेरित नहीं होता और नहीं पाठकों को किसी वाद के लिए प्रेरित करता है। वह निरपेक्ष भाव से लिखते हैं। जैसा उन्होंने देखा, उसे ही यथार्थ में अभिव्यक्त करते हैं। उप्रेती को हमेशा सामाजिक विषमताएं उद्वेलित करती हैं। जिसे वे अपने लेखन में उतारते हैं। यही उनके लेखन की सबसे बड़ी विशेषता है।
इतिहासकार ताराचंद त्रिपाठी ने कहा कि प्रभात उप्रेती हमेशा ऊर्जा से भरे हुए व्यक्तित्व के स्वामी हैं। उप्रेती का अपना जीवन ही एक निबंध है। उनके पॉलिथीन हटाओ अभियान को ही देखें तो वह एक प्रकार की साहित्य रचना की तरह दिखाई पड़ता है। उनमें किसी प्रकार का दुराग्रह नहीं है। दुराग्रही ना होना ही प्रभात उप्रेती को एक अलग इंसान बनाता है।
वरिष्ठ पत्रकार और नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन शाह ने कहा कि एक लेखक के तौर पर प्रभात उप्रेती का लेखन सभी को प्रभावित करता है उप्रेती बिना किसी बंधन के लिखते हैं।
इस दौरान प्रभात उप्रेती के साथ एक बातचीत भी रखी गई थी। उनके साथ बातचीत वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला ने की। जिसमें उनकी लेखन यात्रा और उनके जीवन के अनुभवों पर सवाल पूछे गए। जिस पर उन्होंने बहुत बेबाकी और अपने मजाकिया अंदाज में जवाब दिए। प्रभात उप्रेती के लेखन यात्रा पर डॉ. प्रयाग जोशी, शैलेंद्र प्रताप सिंह, जगदीश जोशी, पीसी तिवारी, तारा पाठक, प्रोफेसर भूपेन सिंह ने भी अपनी बात रखी। इस दौरान रिस्की पाठक, हेम पंत, प्रवीण कुमार भट्ट, विमल उप्रेती, डा. पारितोषिक उप्रेती, निर्मल नियोलिया, डॉ. नरेंद्र सिजवाली, हरीश पंत, भूपेंद्र बिष्ट, सुनीता भाकुनी, माया बिष्ट, मुकेश कोहली, डॉ. पंकज उप्रेती, दिनेश कर्नाटक, पीयूष जोशी, नरेंद्र बंगारी, रीता उप्रेती, अमृता पांडे, बसंत पांडे, उमेश भट्ट, भास्कर उप्रेती, त्रिभुवन बिष्ट आदि अनेक लोग थे।
कार्यक्रम का संचालन दयाल पांडे, उमेश तिवारी विश्वास और अनामिका जोशी ने संयुक्त तौर पर किया।