सितारगंज। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री युवा है उन्हें युवाओं की समस्याओ का शीघ्र समाधान करना चाहिए। उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर पर्यटन व्यवसाय को बढाने का काम करना चाहिए। फल उत्पादकों की समस्या को देखते हुए उन्हें ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जानी चाहिए।
राकेश टिकैत ने मीडिया से रूबरू होते हुए साफ तौर पर कहा कि जब तक केंद्र की भाजपा सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है जब तक किसान अपने घर नहीं लौटेंगे। कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार को किसानों से बात कर इसका समाधान निकालना चाहिए। संसद चलने पर विपक्ष से बात की गई है कि वह पार्लियामेंट में ही अपनी किसानों को लेकर आवाज उठाएं। यह भी रणनीति तैयार की गई है कि पार्लियामेंट के बाहर लगभग 200 किसान मौजूद रहेंगे।भारतीय किसान यूनियन के नेता ने आंदोलन को देश के नौजवानों का आंदोलन बताया। कहा यह किसानों मजदूरों दुकानदारों का आंदोलन है। इस आंदोलन को अनाज बेचने वाले और अनाज लेने वाले दोनों का जनआंदोलन बताया। राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा कि किसान दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर से कानूनों की वापसी तक घर नहीं लौटेंगे।
कहा कि 5 सितंबर के बाद किसान आंदोलन जनता के बीच चला जाएगा, जहां भी चुनाव चलेंगे वहां किसान जाकर केंद्र की भाजपा सरकार के बारे में जनता को बताएंगे। उत्तराखंड के बारे में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि मुख्यमंत्री युवा होने के नाते उत्तराखंड में ज्यादा से ज्यादा काम करेंग। साथ ही सितारगंज की बंद पड़ी चीनी मिल को पुनः चालू करेंगे। उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर टूरिज्म को लागू करेंगे। उत्तराखंड की पहाड़ी क्षेत्र के किसानों को ट्रांसपोर्ट में सब्सिडी देने की उत्तराखंड की सरकार से मांग की। कहा कि इससे उत्तराखंड के किसान को फायदा मिल सके। राकेश टिकैत ने बॉर्डर एरिया के पहाड़ी क्षेत्र के निवासियों को एससी एसटी कैटेगरी में डालने की बात करते हुए कहा कि उससे पहाड़ का किसान जिंदा रह सकता है।उत्तराखंड के पलायन को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तराखंड का पलायन उत्तराखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।