हल्द्वानी। ऐक्टू व सीटू से जुड़ी आशा यूनियनें 23 जुलाई से चरणबद्ध तरीके से मांगों को लेकर प्रदेश स्तरीय आंदोलन की तैयारी में हैं। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार आशाओं समेत सभी महिला कामगारों का खुला शोषण कर रही है। इस सरकार ने कामगारों के अधिकारों को खत्म करने के लिए श्रम कानूनों को खत्म कर दिया है। यह सरकार मुफ्त में जमकर काम कराने के फार्मूले पर चल रही है और आशाओं इसने बंधुवा मजदूर बना कर रख दिया है। डॉ पाण्डेय ने कहा कि, “सरकार आशाओं से बहुत ज्यादा काम ले रही है किंतु मानदेय के नाम पर कुछ भी नही दे रही है। 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना काल में अपनी बेहतरीन सेवा देने के लिए आशाओं को दस हजार रुपए प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक यह पैसा आशाओं के खाते में नहीं आया है। उनके बाद बने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया जबकि आशाओं द्वारा कई बार अपनी मांगों को उठाया गया। अब हम वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते है की वे तत्काल निम्न मांगों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए मांगे पूरी करें जिसमें आशाओ को भी आंगनबाड़ी की तर्ज पर मानदेय दिया जाए , मानदेय न्यूनतम वेतन के बराबर दिया जाए , आशाओं को ई.एस.आई. का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए या इसकी तर्ज पर ही स्वास्थ्य बीमा किया जाए , सभी आशाओ को सामाजिक सुरक्षा दी जाए , कोरोना काल का मासिक दस हजार रुपये कोरोना भत्ता दिया जाय, रिटायरमेंट पर पेंशन का प्रावधान किया जाय,विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए तथा आशाओं के शोषण पर रोक लगे तथा उनके साथ अस्पतालों में सम्मानजनक व्यवहार किया जाय।”
उन्होंने बताया कि, “आगामी 23 जुलाई 2021 को ब्लॉक मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे जाएंगे उसके पश्चात 30 जुलाई 2021 को जिला मुख्यालयों पर आशाएँ प्रदर्शन करेंगी। इसके बाद भी अगर समाधान न हुआ तो राजधानी देहरादून में राज्य स्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा । इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो हड़ताल ही अंतिम विकल्प होगा।