कर्मचारी, शिक्षक व पुलिस कर्मियों के पक्ष में कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल ने कहा- भाजपा को कर्मचारी-शिक्षकों के हितों से मतलब नहीं

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देहरादून। उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा है कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार की कर्मचारी हितों से कोई लेना-देना नहीं है।
पिछले साल उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कोरोना के मद्देनजर राज्य कर्मचारियों को मिलने वाला डी.ए. फ्रीज कर दिया था। केन्द्र सरकार व बाकी राज्यों ने भी यही किया था, लेकिन केन्द्र सरकार और ज्यादातर राज्य इस डी.ए. को पुनः देने लग गये हैं। उत्तराखण्ड सरकार अभी भी कुम्भकर्णी नींद में सोई हुई है। उत्तराखण्ड के राज्य कर्मचारी आज भी अपने फ्रीज किये गये डी.ए. के खुलने का इंतजार कर रहे हैं। कर्मचरियों के हितों पर कुठाराघात करते हुए मंहगाई भत्ता जो कि उनका संवैधानिक अधिकार है उसमें भी कटौती कर दी गई है। केन्द्र सरकार के द्वारा कर्मचारियों का डी.ए. 10 प्रतिशत बढाने की घोषणा की गई है, जो ना काफी है। यहां पर यह बात भी उल्लेखनीय है कि हमारी सरकारों मे हर साल दो बार कर्मचारियों के डी.ए. में बढोत्तरी की जाती थी, एक बार जनवरी तथा एक बार जुलाई के महीने में। श्री गणेश गोदियाल ने कहा कि समान कार्य-समान वेतन सहित अन्य न्यायोचित मांगों को लेकर प्रदेश के उपनल एवं मनरेगा कर्मचारी धरने पर दो महीने से भी अधिक समय तक आन्दोलनरत रहे, धरने पर बैठे, कार्य बहिष्कार किया। धरने पर काबिना मंत्री हरक सिह रावत व गणेश जोशी के पहुंचकर आश्वासन देने के बावजूद तथा कई दौर की बातचीत के बाद भी उनकी न्यायोचित मांगे पूरी नहीं हुई हैं।
वेतन विसंगति पर बोलते हुए गणेश गोदियाल ने कहा विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के वेतन में विसंगतियां सरकार के विचारधीन लम्बित हैं, जिसमे सम्बन्धित विभाग के कर्मचारियों द्वारा बार-बार सरकार से मांग की जा रही है कि वेतन विसंगति दूर की जाय ताकि सभी कर्मचारियों को समान वेतन मिल सके। इसी प्रकार निगम एवं निकाय कर्मचारियों के वेतन में भी असमानता बनी हुई है। सरकार लगातार इन कर्मचारियों के साथ आंख मिचोली खेलने का काम कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिथि शिक्षकों का मानदेय 15000 से 25000 करने का निर्णय अपनी कैबिनेट की बैठक में लिया था, परन्तु आज एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई शासनादेश जारी नही किया है, इसके विपरीत सरकार अपनी पीठ थपथपाते हुए अखबारों में विज्ञापन छपवाने लगी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में कोरोना संकटकाल चल रहा है उसके बावजूद रिक्त पडे हुए नर्सिंग सेवा के 2600 पदों पर तीन बार परीक्षाओं की तिथि घोषित करने के बाद भी सरकार परीक्षा कराने में असमर्थ रही है। इसी प्रकार ए.एन.एम. के 600 पद रिक्त चल रहे हैं तथा उन पर भी भर्ती की कोई व्यवस्था नहीं है। एन.एच.एम. के अन्तर्गत आने वाले एनआरएचएम में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को पोस्ट के साथ बजट भी दिया गया है परन्तु इसके बाद भी आतिथि तक पद रिक्त पडे हैं।
पुलिस कर्मियों की ग्रेड पे सम्बन्धी प्रकरण पर बोलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा पुलिस कर्मचारियों को दिये जाने वाले 4600 ग्रेड पे को वर्तमान सरकार ने घटा कर 2800 कर दिया है। उत्तराखण्ड राज्य क्या पूरे देश मे शायद यह पहला मामला होगा कि पुलिस प्रशासन के परिजनों को अपने पेट की आग बुझाने के लिए सडकों पर उतर कर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ा। राज्य सरकार का यह कदम कोरोना संकट काल एवं मंहगाई के मद्देनजर न सिर्फ संवेदनहीन है बल्कि विपरीत परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करने वाले पुलिस कर्मियों का मनोबल गिराने वाला है। कोरोना काल में उत्तराखण्ड पुलिस का योगदान अभूतपूर्व एवं सराहनीय रहा है। प्रचण्ड बहुमत वाली डबल इंजन की सरकार से यह अपेक्षा थी कि वह पुलिस कर्मियों की निष्ठा और समपर्ण को देखते हुए प्रोत्साहन के रूप में उनका ग्रेड पे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार से ज्यादा करती, परन्तु राज्य सरकार ने पिछले 8 महीने से समितियों पर समितियां गठित कर दी लेकिन समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया।
गणेश गोदियाल ने कहा कि राज्य में रोजगार की स्थिति दयनीय है। इसे राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि पहले मुख्यमंत्री ने 7.50 लाख देने की बात कह कर जनता को भ्रमित किया। दूसरे मुख्यमंत्री 22 हजार नौकरियां देने की बात करते दिखे और अब जो तीसरे आये हैं उन्होंने न सिर्फ 22 हजार नौकरियां बल्कि 10 लाख नौकरियों की बात कहनी शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि रोजगार के मामले में राज्य सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए क्योंकि जनता भ्रम की स्थिति में है। यह बात साफ होनी चाहिए कि आखिर भारतीय जनता पार्टी के पूरे कार्यकाल में अभी तक किस विभाग मंें किन पदों पर कितने रोजगार या नौकरियां प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार के कार्यकाल में उपलब्ध कराई गई। इसको बिडम्बना ही कहा जा सकता है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सितम्बर 2016 में विद्युत विभाग के 252 पदों पर अवर अभियंता इलेक्ट्रिकल की विज्ञप्ति जारी की गयी। जिसमें 160 पद यूपीसीएल तथा 92 पद पिटकुल विभाग के थे। परीक्षा नवम्बर 2017 में करायी गयीं जिसका 252 पदों पर ही परिणाम के बाद अभिलेख सत्यापन भी हुआ इसी बीच परीक्षा में धाँधली के आरोप लगे और परीक्षा को माननीय उच्चन्यालय ने रद्द कर दिया।

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