हरिद्वार। हरिद्वार जि एक के रुड़की में एक गृहस्थ व्यक्ति ने बड़ा अखाड़े की मुहर और संतों के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद को महंत बताया और अखाड़े की लाखों की संपत्तियों का सौदा कर डाला। एग्रीमेंट कर लगभग 65 लाख रुपये भी ले लिए। अखाड़े ने फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से जांच कराई तो हस्ताक्षर और मुहर फर्जी पाई गई। एसएसपी से शिकायत पर हुई जांच में भी फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। इस मामले में कनखल थाने में आरोपित जोगेंद्र दास के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस के मुताबिक बड़ा अखाड़ा के श्रीमहंत रघुमुनि और श्रीमहंत महेश्वर दास ने पिछले महीने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को शिकायती पत्र देकर बताया था कि अखाड़े की शांतरशाह गद्दी के महंत महेंद्र दास की मौत के बाद अखाड़े की ओर से महंत रविन्द्र दास को नया महंत बनाया गया था। आरोप लगाया कि महेंद्र दास के पुत्र जोगेन्द्र दास ने 10 नवंबर 2010 को एक फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किया। जिसमें श्रीमहंत रघुमुनि के फर्जी कूटरचित हस्ताक्षर और अखाड़े की फर्जी मुहर का इस्तेमाल कर खुद को गद्दी नशीन महंत नियुक्त होने का दावा किया। जबकि ऐसा कोई प्रमाणपत्र जोगेन्द्र को कभी नहीं दिया गया। पता चलने पर अखाड़े ने मुजफ्फरनगर के फिंगर प्रिंट व हैंड राइटिंग एक्सपर्ट विरेंद्र पाल से प्रमाण पत्र की जांच कराई। पता चला कि फर्जीवाड़ा व कूटरचना कर प्रमाण पत्र बनाया गया है। 14 मार्च 2016 को पंकज शाह से अखाड़े की संपत्तियों का एग्रीमेंट कर पहले 55 लाख रुपये और फिर 10 लाख रुपये लेने की बात भी सामने आई। तब अखाड़े ने एसएसपी से पूरे मामले की शिकायत की।
सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज करने से लेकर दस्तावेजों की पड़ताल की, तब भी फर्जीवाड़ा सामने आया। सीओ की रिपोर्ट पर एसएसपी ने मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। कनखल पुलिस ने बताया कि पुलिस ने जोगेंद्र दास निवासी आवास विकास कालोनी रुड़की के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
वंश नहीं, गुरु शिष्य परंपरा से नियुक्ति
बड़ा अखाड़ा के महंत दामोदार दास ने बताया कि महंत महेंद्र दास ने अखाड़े से जुड़ने के बाद अपने गृहस्थ परिवार से नाता खत्म कर दिया था। आरोपित जोगेंद्र दास उनका बेटा है। लेकिन, वह अखाड़े का संत नहीं है। बताया कि अखाड़े में वंश नहीं, बल्कि गुरु शिष्य परंपरा के आधार पर नियुक्ति होती है। आरोप लगाया कि जोगेंद्र दास ने फर्जी महंत बनकर अखाड़े की प्रतिष्ठा धूमिल की है।