आशा वर्कर्स का कार्य बहिष्कार को हो गए 15 दिन, सरकार ने अभी भी चुप्पी साधी

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हल्द्वानी। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन और सीटू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की संयुक्त हड़ताल राज्य में आशाओं को मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा की मांग को लेकर कार्यबहिष्कार, हङताल जारी है। बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही हड़ताल को 15 दिन पूरे हो चुके हैं।
महिला अस्पताल के गेट पर चल रहे धरने पर यूनियन नेताओं ने कहा कि, “सरकार द्वारा आशाओं को मिलने वाले मासिक प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने के प्रस्ताव के बजाय मासिक मानदेय फिक्स किया जाय। प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा कभी भी बंद की जा सकती है इसलिए मासिक मानदेय से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।”
कहा गया कि, “सरकार द्वारा आशाओं को लंबे समय से छला जा रहा है लेकिन अब आशाएँ अपना शोषण बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। पूरे राज्य की आशा वर्कर अभूतपूर्व एकता दिखाते हुए आशाओं की ऐतिहासिक हड़ताल कर रही हैं और आगे के संघर्षों को मुकाम तक पहुँचाने के लिए यह एकता और दृढ़ होगी।”
धरने में यूनियन महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय, रिंकी जोशी, भगवती बिष्ट, रीना बाला, सायमा सिद्दीकी, हंसी बेलवाल, शांति शर्मा, किरन पलड़िया, रजनी, बीना उपाध्याय, हेमा दुर्गापाल, कमला कण्डारी, गीता जोशी, हेमा शर्मा, नीमा आर्य, गंगा आर्य, सलमा, नसीमा, हुमैरा, शहनाज, मिथिलेश, बबिता, मुन्नी रौतेला, मीनू, गीता देवी, जानकी जोशी, माधवी पाण्डे, पार्वती बिष्ट, राबिया, हेमलता भट्ट, तुलसी कुलोरा, कमला बिष्ट, तुलसी आर्य, रमा भट्ट, छाया आर्य, सावित्री अधिकारी, मंजू, पुष्पा आर्य, यास्मीन, दीपा बहुगुणा, पुष्पा राजभर, बीना, अमिता, शोभा, फहरीन आदि आशाएँ मौजूद रहीं।

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