आशा वर्कर्स का सरकार पर निशाना: अब दूसरे राज्यों की नियममावली अध्ययन के नाम पर किया जा रहा है गुमराह

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हल्द्वानी। दो अगस्त से चल रही आशा वर्कर्स की हड़ताल के 27वें दिन भी जारी है। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने कहा कि, “राज्य सरकार ने अब नया पैंतरा उछालना शुरू किया ह। अब मानदेय के सवाल पर अन्य राज्यों का अध्ययन कर रहने के नाम पर गुमराह किया जा रहा है। कहा कि मुख्यमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि अन्य राज्य जब मानदेय घोषित कर रहे थे तब क्या उन्होंने उत्तराखण्ड समेत अन्य राज्यों का अध्ययन किया या अपनी खास भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप मानदेय फिक्स किया। उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में आशाओं को कार्य करना पड़ता है इसको देखते हुए आशाओं को जो भी मासिक वेतन सरकार दे वो भी कम ही है, लेकिन अभी सरकार कोई मासिक वेतन फिक्स तो करे। राज्य की धामी सरकार अन्य राज्यों के अध्ययन के नाम पर मासिक वेतन का मामला लटकाये रखना चाहती है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जायेगा। यदि टालमटोल का सरकारी पैंतरा इसी प्रकार जारी रहा तो आशा यूनियनें आंदोलनकारी आशा वर्कर्स को लेकर मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों का घेराव करने को विवश होंगी।”
आज महिला अस्पताल के धरना स्थल पर रीना बाला, गीता, बीना कोरंगा, हंसी, गीता बोरा, भगवती, सरोज, पूनम, गीता, फरहीन, मालती, यशोदा, पुष्पा, हेमा, राजेश्वरी, देवकी, कमला, राबिया, मीना, रेनू, नीमा, अनीता, सुनीता, कमलेश, तुलसी, आनंदी, विमला, बीना, मुन्नी, दशरथी, विनीता, मनीषा आर्य, चन्द्रकला, अनुराधा, नीमा आर्य, पुष्पा आर्य,भगवती बिष्ट, ममता, जरीन, अम्बिका जोशी, भगवती पाण्डे, पूनम, तारा, गंगा लटवाल, दीपा, रजनी, मंजू, चम्पा, बसंती, यास्मीन, सरिता, रेनू, रेखा, हेमा समेत बड़ी संख्या में आशाएँ उपस्थित थी।

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