*इत्र कारोबारी पीयूष जैन देर रात गिरफ्तार: 12 कारीगर व 509 चाबियों से खुला खजाना, 200 करोड से अधिक की नकदी बरामद*

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कानपुर। कानपुर में त्रिमूर्ति प्राइवेट लिमिटेड के मालिक पीयूष जैन को रविवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कार्रवाई डीजीजीआई की टीम की ओर से कानपुर और कन्नौज स्थित घर से 200 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और सोना-चांदी मिलने के बाद की गई है। पीयूष जैन के दोनों बेटे फिलहाल टीम की हिरासत में हैं। हालांकि अभी इत्र कारोबारी के घर पर छापेमारी की कार्रवाई जारी है। इंटेलिजेंस की टीम का पीयूष जैन के घर में तलाशी अभियान चल रहा है।  सूत्रों के मुताबिक पीयूष जैन के घर में अभी और कैश और सोना-चांदी छिपा हो सकता है। इत्र कारोबारी के घर से इतनी बड़ी मात्रा में कैश और सोना मिला चर्चा का विषय बना हुआ है।
गौरतलब है कि आयकर विभाग ने शुक्रवार को कानपुर में व्यवसायी पीयूष जैन के आवास पर कर छापेमारी में करोड़ों रुपये की नकदी बरामद की थी। इसके बाद टीम ने पीयूष जैन के कन्नौज के ठिकानों पर भी छापेमारी शुरू की तो घरों से नोटों की बंडल निकले शुरू हो गए। इसके बाद डीजीजीआई की टीम कानपुर स्थित मकान पर पहुंच गई। यहां टीम ने जब सर्च ऑपरेशन शुरू किया तो अलमारियों में नोटों के बंडल भरे मिले। टीम को नोट गिनने के लिए पांच मशीने भी मंगानी पड़ीं। कार्रवाई इतनी गोपनीय थी कि इस बारे में डीजीजीआई के लोकल अधिकारियों को भी कुछ नहीं बताया गया था।
सूत्रों के मुताबिक अहमदाबाद की टीम ने लोकल के दो अफसरों से बात की थी। उन्हें बताया गया कि एक ऑपरेशन होना है। इसके लिए बिग बजार चलना है। कानपुर में कई बिग बाजार हैं? कहां पहुंचना है? यह पूछने पर पूछा गया कि कहां-कहां बिग बाजार हैं? जब स्थानीय अधिकारियों ने रावतपुर और परेड के बिग बाजार का नाम लिया तो मना कर दिया गया। दक्षिण कानपुर के बिग बाजार का नाम लेने पर वहीं बुला लिया गया। अधिकारी पहुंचे तो अहमदाबाद की टीम ने उन्हें सीलबंद लिफाफा दिया था। कार में बैठने के बाद लिफाफे खोले गए। उसमें कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे। इसके बाद टीम ने इत्र कारोबारी के घर पर छापा मारा। छापेमारी तीन दिन से लगातार जारी है।
पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित घरों से जब 185 करोड़ रुपये मिले तो अफसरों के भी होश उड़ गए थे। इतने सारे रुपयों के बारे में अफसरों ने इत्र कारोबारी से सवाल किया तो उन्होंने फनी सा जवाब दे दिया था। जिसे सुनकर अफसर भी हंस पड़े थे। पीयूष जैन बोले थे कि ये पैसा उसी का है, जिसे पुश्तैनी सोना बेचकर जमा किया था। सोना क्यों बेचा, किसे बेचा, कितने का बेचा, इन सवालों का जवाब वह नहीं दे सके। दावों की सच्चाई जानने के लिए ही जांच अफसर कन्नौज स्थित उनके घर की तिजोरियों और दीवारों को तोड़ने में लगे रहे।
इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज वाले घरों से करीब 185 करोड़ की नकदी मिल चुकी थी। उधर, डीजीजीआई की टीम ने तीसरे दिन पीयूष जैन को हिरासत में ले लिया गया था। उन्हें लेकर अफसर कन्नौज पहुंचे और पैतृक घर की तलाशी शुरू की तो दीवारों ने नोटों के बंडल और सोना उगलना शुरू कर दिया।
डीजीजीआई के अफसर कानपुर से शुक्रवार की रात 3 बजे पीयूष जैन को लेकर तीन गाड़ियों से निकले। पहले उन्हें सर्वोदय नगर स्थित डीजीजीआई दफ्तर में लाया गया। सवा घंटे तक पूछताछ के बाद टीम उन्हें लेकर कन्नौज निकल गई। सुबह सात बजे कन्नौज में जैन स्ट्रीट स्थित पीयूष के पैतृक घर में टीम पहुंची। यहां पहले से ही उनके दोनों बेटे प्रत्यूश और प्रियांश मौजूद थे। एक जांच टीम वहां 36 घंटे से तलाशी अभियान में जुटी है। पड़ताल शुरू करने से पहले इलाके के दो लोगों को गवाह के तौर पर शामिल किया गया।
इत्र कारोबारी पीयूष जैन ने कन्नौज में अपने घरों की अलमारियों, तिजोरियों और लॉकरों की चाबियां अलग-अलग नहीं रखी थीं बल्कि इसके गुच्छे बना दिए। जांच अफसरों को 500 चाबियां मिलीं लेकिन ताले 109 हैं। साफ है कि घर में अभी गुप्त तिजोरियां हैं, जिनकी तलाश में अभी भी तोड़फोड़ की जा रही है। पीयूष के मकान और कारोबारी ठिकानों पर लगे तालों ने विजिलेंस टीम के अफसरों को बुरी तरह से उलझा बना दिया है। अलग-अलग कमरे, उनमें रखीं दर्जनों अलमारियों और उनके तालों ने सर्दी में भी अफसरों का पसीना छुड़ा दिया है। तालों के न खुलने पर उन्हें तोड़ा और काटा जा रहा है। अब तक एक दर्जन से ज्यादा कारीगरों की मदद ली जा चुकी है।

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