डॉक्टर बबीता के जज्बे को सलाम

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

करोना काल में अपनी 2 माह की बेटी को घर में छोड़ लोगों की सहायता के लिए निकल पड़ी

भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री बबीता सहोत्रा ने करोना काल में जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने के लिए जज्बा दिखाया , अपनी 2 माह की बेटी को छोड़कर आपदा की घड़ी में घर-घर जाकर लोगों को कोरोना वायरस से बचाव की जानकारी देती रही और उनकी जानकारी जुटाकर मदद के लिए क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी तक पहुंचाती रही ,जिसके बाद जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचती थी,


    डॉक्टर बबीता के जज्बे को सलाम

देहरादून  (एचएस सैनी )डॉक्टर बबीता सहोत्रा आनंद का बचपन बड़ी कठिनाई में बीता बहुत संघर्ष के बाद अपनी शिक्षा को पूरा किया और संकल्प लिया कि समाज में महिला शिक्षा को आगे बढ़ाना है,

महिला सशक्तिकरण के लिए जो भी संभव है उसके प्रयास लगातार कर रही हैं ,डॉक्टर बबीता सहोत्रा आनंद वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री हैं एवं डीएवी इंटर कॉलेज में शिक्षिका भी हैं, नारी मानव जाति के लिए जननी का रूप है। नारी शक्ति या मातृशक्ति का इस संसार को आगे बढ़ाने में अहम् योगदान है। बिना नारी के इस दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती। अगर नारी नहीं होगी तो इस संसार का विकास नहीं हो पायेगा। नारी ही एक पुरुष को जन्म देती है, तभी नारी की सहन करने की शक्ति यानी सहनशक्ति का अहसास होता है कि वह इस संसार में कितनी मजबूत शक्ति है।

आज अपने समाज में नारी के स्तर को उठाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं की आध्यात्मिक, शैक्षिक, सामजिक, राजनैतिक और आर्थिक शक्ति में वृध्दि करना, बिना इसके महिला सशक्तिकरण असंभव है। आज हर महिला समाज में धार्मिक रूढ़ियों, पुराने नियम कानून में अपने आप को बंधा पाती है। पर अब वक्त है कि हर महिला तमाम रूढ़ियों से खुद को मुक्त करे।

समाज में असहाय लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का काम करना हर किसी के वश की बात नहीं होती। अगर नेक काम करने के साथ गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठाया जाए तो सभ्य समाज में इससे बड़ा उदाहरण कोई और हो ही नहीं सकता है। इसकी जीती-जागती मिसाल हैं, डीएवी इंटर कॉलेज में में तैनात डॉक्टर बबीता सहोत्रा आनंद जो अपने बच्चे की तरह गरीब परिवार के बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैला रही हैं, और उनकी शिक्षा से लेकर पहनने- ओढ़ने तक का खर्चा उठाकर उनकी जिंदगी को रोशन कर रही हैं।

कुछ बच्चों की कोचिंग से लेकर जूते, कपड़े तक का खर्चा उठा रही हैं। वहीं स्कूल में अन्य सुविधाएं अपने पैसे से उपलब्ध कराई हैं, जिससे इन स्कूलों के बच्चे निजी स्कूलों की तरह आनंद ले सकें।
डीएवी इंटर कॉलेज देहरादून में तैनात डॉक्टर बबीता सहोत्रा आनंद जो छात्र-छात्राएं पांचवी के बाद शिक्षा छोड़ देते हैं उन्हें अपने स्कूल में प्रवेश दिला कर शिक्षित कर रहे हैं, स्कूल में पढ़ने वाले गरीब परिवार के 24 छात्र-छात्राओं को कोचिंग दिलवा रही हैं। इसके लिए वह अपने पास से कोचिंग पढ़ाने वाली लड़कियों को पैसे दे रही हैं।

उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है। बच्चे स्कूल आ नहीं पा रहे हैं। इनके पास मोबाइल की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में शिक्षित छात्राओं से उन्हें कोचिंग दिलवाई है, जिससे इन बच्चों का भविष्य संवर सके।

बच्चों को जरूरत की चीजें करा रहीं उपलब्ध
बबीता सहोत्रा बताती हैं कि उन्होंने इतनी गरीबी देखी है इसलिए गरीबी का दर्द मुझे पता है। इन बच्चों के लिए किताब-कॉपी से लेकर स्वेटर, जर्सी व अन्य जरूरत की चीजें उपलब्ध कराती हैं। यूनिफॉर्म से अलग जूते भी दिलवाती हैं। जिन बच्चों के पास कपड़े नहीं होते हैं। उन्हें कपड़ों की व्यवस्था कराती हैं, जिससे बच्चे गरीबी के कारण स्कूल आना बंद न करें।


अपने विद्यालय में ही गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूल की तरह शिक्षा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने आधुनिक कंप्यूटर शिक्षा भी दे रहे हैं। खेलने से लेकर योग की विशेष कक्षाएं संचालित की जाती हैं,

जिससे बच्चे आगे बढ़ सकें। बच्चों को स्टेशनरी के साथ उनको अपने पास बैग व अन्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिससे बच्चे जरूरतों के अभाव में स्कूल न आएं।
मलिन बस्ती में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए जन जागरण चलाया जा रहा है,

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