अवैध कब्जे की शिकायत को न सुनना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने एमडीडीए, एसएसपी व एसएचओ पर लगाया एक-एक लाख रुपये का जुर्माना

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नैनीताल : देहरादून में महिला की संपत्ति पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने के मामले में शिकायत के बाद कार्रवाई नहीं करने को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कोर्ट ने हीलाहवाली करने पर एमडीडीए, एसएसपी व एसएचओ पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि दो सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को न देने पर अवमानना की कार्रवाई होगी। साथ ही जुर्माने की राशि वेतन से देनी होगी, यदि तय अवधि में भुगतान नहीं किया गया तो डीएम देहरादून को राजस्व वसूली की तरह कार्रवाई करनी होगी।
देहरादून निवासी सविता गुप्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पलटन बाजार में उनकी दुकान है। बताया कि सविता ने दुकान बेच दी, मगर छत नहीं बेची थी। विपक्षी सौरभ गुप्ता, गौरव गुप्ता व हरीश गुप्ता ने छत पर अवैध तरीके से कब्जा कर बिना अनुमति निर्माण कर लिया। महिला का कहना था कि पहले 2019, फिर दिसंबर 2020 में उसने एमडीडीए, एसएसपी व एसएचओ से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इसी साल जनवरी में याचिका खारिज करते हुए  सिविल वाद दायर करने का आदेश दिया। एकलपीठ के इस निर्णय के खिलाफ सविता ने विशेष अपील दायर की। जिस पर कोर्ट ने एसएसपी, एसएचओ व एमडीडीए के अफसरों को तलब किया था।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में एसएसपी वाईएस रावत व कोतवाली देहरादून के एसएचओ शिशुपाल सिंह नेगी कोर्ट में पेश हुए। एमडीडीए की ओर से कहा गया कि 28 दिसंबर 2020 व 15 जनवरी 2021 को सीलिंग का नोटिस दिया गया था। साथ ही कहा कि पुलिस फोर्स मांगने के बाद उपलब्ध नहीं कराई गई। इस पर नाराज कोर्ट ने कहा कि डीजीपी को पत्र क्यों नहीं लिखा। जब कोई घटना घट जाती है तब पुलिस कार्रवाई करती है।

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