उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक होना उपभोक्ता का प्रथम अधिकार

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लाखन सिंह

हर वर्ष 15 मार्च यानि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, जिसमें सवाल है कि उपभोक्ता के अधिकारों को कैसे संरक्षित किया जाए। परंतु उपभोक्ता, अधिकारों की जानकारी के अभाव में निरंतर ठगाा जा रहा है। कोरोनाकाल हो अथवा वायरस के बढते प्रभाव के कारण कोरोनावायरस से लडने के लिए मास्क की लडने की जरूरत हो अथवा हैंड सैनेटाइजर की जब बतौर उपभोक्ता हम इन उत्पादों को खरीदने जाते हैं, तो यह सभी उत्पाद हमें बाजार से नदारद मिलते हैं। यदि यह उत्पाद प्राप्त भी होते हैं, तो बहुत अधिक कीमत पर मिलते हैं, एक उपभोक्ता के तौर पर हमें यह ज्ञान होना आवश्यक है कि कोई भी उत्पाद जो कि हम क्रय कर रहे हैं उसका वास्तविक मूल्य क्या है।

आज प्रत्येक व्यक्ति एक उपभोक्ता है, जिसका यह मूल अधिकार है कि वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे। विश्व में पहली बार अमेरिका के पूर्व राश्ट्रपति जाॅन एफ कैनेडी ने 13 मार्च 1983 को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया था। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष से विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को मनाने का क्रम शुरू हुआ। उपभोक्ता सेरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने उपयोग के लिए उत्पाद क्रय करने का कार्य करता है, वह उपभोक्ता कहलाता है। लेकिन आज का बाजार जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, मनमाने दामों, नाप – तोल जैसी कई समस्याओं से घिरा हुआ है। जिसका मूल कारण है कि आज उपभोक्ता संगठित नहीं है, इसलिए आज उपभोक्ता बाजार में एक सरल टारगेट के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।

जिस कारण उपभोक्ता ठगी का अधिकार हो रहे हैं। इसके लिए आवश्यक है कि उपभोक्ता को जाग्रत होना पडेगा, और खुद को आने वाली समस्याओं और संकटों से खुद को बचाना आवश्यक है। इसलिए आज यह नितांत आवश्यक है कि उपभोक्ता को जागरूक होना आवश्यक है।
(लेखक अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत उत्तराखण्ड के संगठन मंत्री है)

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