कुंभ आज का नहीं बल्कि सनातन- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ख़बर शेयर करें -

कुम्भ मंथन-विचार मंथन
महाकुंभ हरिद्वार 2021  के उपलक्ष्य में परमार्थ निकेतन में आयोजित कुंभ कांक्लेव का समापन

परंपराओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता का स्थापन है कुंभ

यह समापन नहीं स्थापन है

कुंभ आज का नहीं बल्कि सनातन- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश 25 मार्च । वैश्विक स्तर पर माँ गंगा की दिव्य आरती, भारतीय संस्कृति और दर्शन को स्थापित करने में अग्रणीय भूमिका निभाने वाले परमार्थ निकेतन आश्रम में महाकुम्भ, हरिद्वार की दिव्यता और भव्यता के तत्वदर्शन पर आधारित दो दिवसीय ’’कुम्भ कांक्लेव’’ 2021 का आज परमार्थ गंगा तट ऋषिकेश में दिव्य और भव्य माँ गंगा जी की आरती के साथ समापन हुआ । कुम्भ कंक्लेव के समापन अवसर पर भारतीय जीवन दर्शन को जीवंत बनाने में आध्यात्मिक स्थलों, अखाड़ों, मठों की भूमिका पर मंथन किया।
‘‘कुम्भ कांक्लेव, 2021’’ का दो दिवसीय आयोजन इंडिया थिंक काउंसिल, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेेश और अन्य संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
कुम्भ कांक्लेव के समापन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष परम पूज्य स्वामी श्री चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज समापन नहीं स्थापन है, कुंभ आज का नहीं बल्कि सनातन है । उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के समय से ही कुंभ की परंपरा रही है और इस कुंभ परंपरा के माध्यम से भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता का आज भी स्थापन हो रहा है । आज संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता को स्वीकार कर रहा है, योग दिवस के माध्यम से, अध्यात्म के माध्यम से या फिर कोविड – 19 महामारी के इस काल में आयुर्वेद के माध्यम से । वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा का सबसे बड़ा उदाहरण आज हमारी संस्कृति ही है । कोविड -19 में आज विश्व को भारत दवाइयां और वैक्सीन दे रहा है । जाती-पांती, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, भाषा और क्षेत्र के सभी बंधनों को तोड़ते हुए वर्षों से कुंभ की परंपरा भारत और विश्व को जोड़ रही है । आज भी बिना किसी निमंत्रण के करोड़ों लोग माँ गंगा की गोद में चले आते हैं क्योंकि हम सभी सहोदर हैं यानी भारत माँ के उदर से उत्पन्न । भारतीय संस्कृति जोड़ती है और इसी जोड़ने की परंपरा का 6 वर्ष और 12 वर्ष में संकल्प का अवसर है कुंभ । आज समापन नहीं अपितु इस संकल्प को पुनः जागृत करने का अवसर है।
उत्तर प्रदेश के माननीय कैबिनेट मंत्री श्री नंद गोपाल नंदी जी ने कहा कि आज हमारे देश को कुंभ की बड़ी आवश्यकता है। राष्ट्र को सूत्रबद्ध करने की, राष्ट्र को एकजुट करने की और कुंभ की आस्था को पुनर्स्थापित करती है। करोड़ों लोग केवल एक पंचांग की पंक्ति को पढ़कर मां गंगा के प्रति, नदियों और जल के प्रति, संस्कृति के प्रति आस्था लेकर बिना किसी व्यवस्था की चिंता करते हुए कुंभ स्नान के लिए एक ही दिन और एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं । यह सूत्रबद्धता नहीं, एकजुटता नहीं तो और क्या है । वर्तमान में केंद्र और समान विचार की राज्य सरकारें भारतीय संस्कृति और राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही हैं । हम आज विश्व पटल पर गर्व से कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं । हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री का अमेरिका दौरा हो, विश्व के किसी अन्य देश दौरा हो सभी जगह भारतीय राष्ट्रगान और भारतीय ध्वज को विदेशियों से सम्मान मिला है । यह भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित होने का शुभ संकेत है ।
आज के कार्यक्रम में दिल्ली से पधारे कपिल मिश्रा ने अपनी ओजस्वी वाणी से भारतीय संस्कृति के मूल का परिचय देते हुए कहा कि आतंकी और अलगाववादी विचारधारा चाहे कुछ भी कर ले एक दिन उन्हें भी भारत की समग्र संस्कृति को आत्मसात करना होगा।
इंडिया थिंक काउंसिल के संयोजक श्री सौरभ पांडे ने समापन के अवसर पर सभी का धन्यवाद और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुंभ कांक्लेव सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर एक बड़े आयोजन का प्रयास करेगा ताकि संपूर्ण राष्ट्र में धर्म, संस्कृति के विकास को तीव्र गति मिले और इंडिया थिंक काउंसिल का जागरूकता का उद्देश्य पूरा हो सके।
पावन गंगा तट में आज के समापन समारोह में श्री अखिलेश मिश्रा, अपर विदेश सचिव, प्रोफेसर गिरीश चंद तिवारी चेयरमैन उच्च शिक्षा आयोग और श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने सहभाग किया ।

Ad