फर्जी कॉल सेंटर के सील 450 लेपटाप फारेंसिक जांच के लिए भेजे

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देहरादून। न्यू रोड स्थित फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर से सील किए 450 लेपटाप व डेस्क उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने फारेंसिक जांच के लिए भेज दिए हैं। कंप्यूटर-लैपटाप की तकनीकी खामियों को दूर करने, एंटी वायरस डालने व अपडेट करने आदि का झांसा देकर विदेशी नागरिकों से ठगी में एसटीएफ ने 14 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। ऐसे में सील किए गए लेपटाप व डेस्कटाप की फारेंसिक जांच में काफी साक्ष्य मिलने की उम्मीद है।
दूसरी ओर काल सेंटर को संरक्षण देने वाले दिल्ली निवासी आरोपित नितिन गुप्ता, उदित गर्ग और गर्भित अब भी फरार चल रहे हैं। एसटीएफ के अनुसार तीनों आरोपितों का ठगी के इस धंधे को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण संरक्षण था।
यही नहीं आरोपितों की पुलिस विभाग के कुछ कर्मचारियों से सांठगांठ थी, जिसके चलते एसटीएफ की पल-पल की गतिविधियों की उन्हें खबर रहती थी। जिस दिन एसटीएफ ने काल सेंटर में दबिश दी, उस दिन पहले बिल्डिंग की रेकी करवाई गई। इस दौरान पुख्ता हो गया था कि काल सेंटर में दिल्ली से करीब तीन करोड़ रुपये आए हैं।
सूत्रों के अनुसार एसटीएफ अभी दबिश की तैयारी कर ही रही थी कि इससे पहले काल सेंटर चलाने वालों को शाम छह बजे ही सूचना मिल गई । इसके कुछ देर बाद फिर सूचना आई कि दबिश नहीं दी जा रही है, जिसके चलते काल सेंटर में काम सामान्य ढंग से चलता रहा। रात करीब 11 बजे जब एसटीएफ ने दबिश दी तो काल सेंटर से एक करोड़ 26 लाख रुपये बरामद कर लिए गए, लेकिन दबिश की भनक लगते ही नितिन गुप्ता, उदित गर्ग और गर्भित फरार हो गए। वह अपने साथ काफी कैश भी ले गए।
गिरोह के सदस्य खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी का अधिकारी बताकर कंप्यूटर व लैपटाप संबंधी सर्विसेज देने के नाम पर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे। इसके बाद हैकिंग एप के जरिये उनके कंप्यूटर-लैपटाप का एक्सेस लेकर एंटीवायरस अपडेट करने समेत तकनीकी खामियों को दूर करने का झांसा देकर 500 से 1000 डालर ठग लेते थे।
इस दौरान आरोपित कंप्यूटर-लैपटाप के इंटरनेट सर्च इंजन में पोर्न साइट भी डाल देते थे। फिर उन्हें कार्रवाई का खौफ दिखा कर इंटरनेट सर्च इंजन की हिस्ट्री से पोर्न साइट हटाने के लिए भी मोटी रकम ऐंठते थे।
दिल्ली की एजेंसी गिरोह को विदेशी नागरिकों का डाटा उपलब्ध कराती थी। बताया जा रहा है कि इस एजेंसी ने माइक्रोसाफ्ट कंपनी के नाम से कुछ टोल फ्री नंबर जारी किए हैं, जोकि विदेशी नागरिकों को कंप्यूटर के पापअप में प्राप्त होते हैं। ऐसे में कंप्यूटर-लैपटाप में कोई तकनीकी खराबी आने पर लोग उक्त टोल फ्री नंबर पर संपर्क करते, जिसे देहरादून में फर्जी काल सेंटर में ट्रांसफर कर दिया जाता था। काल सेंटर से बरामद सभी लैपटाप में ‘एक्स लाइट’ नाम का साफ्टवेयर मिला है। इसी साफ्टवेयर के माध्यम से विदेशी नागरिकों से फोन पर बात की जाती थी।

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