अधीनस्थ चयन योग पेपर लीक प्रकरण: 21 हजार के वेतन में कार-मकान खरीदना अभिषेक को पड़ गया महंगा

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देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक करने वाले को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। यह भी आयोग की आउटसोर्स कंपनी आरएमएस सॉल्यूशन का कर्मचारी है। इसकी जिम्मेदारी पेपर छपने के बाद सील करने की थी, लेकिन शातिर ने तीनों पालियों के एक-एक सेट को टेलीग्राम एप के माध्यम से अपने साथियों को भेज दिया। इस काम के लिए उसे 36 लाख रुपये मिले थे।
आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा गत वर्ष दिसंबर में हुई थी। इसके बाद से ही लगातार इसमें धांधली की बात सामने आ रही थी। बीती 22 जुलाई को मुख्यमंत्री के निर्देश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इसकी जांच एसटीएफ को सौंपी गई। इस क्रम में रविवार को एसटीएफ ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को न्यायालय ने दो आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड भी मंजूर की थी, लेकिन इससे पहले ही एसटीएफ के रडार पर प्रिंटिंग प्रेस (आरएमएस के पास ही जिम्मा था) से जुड़ा कर्मचारी भी आ गया था।
इस बीच पता चला कि कंपनी में काम करने वाले अभिषेक वर्मा नाम के युवक ने कुछ दिनों में काफी पैसा खर्च किया है। गाड़ी खरीदी और गांव के मकान में भी अच्छा-खासा पैसा खर्च किया है। पता चला कि वह देहरादून आने वाला है। वह देहरादून आया तो एसटीएफ ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया था। उसने बताया कि उसकी जिम्मेदारी पेपर छपने के बाद उन्हें लिफाफों में सील करने की थी।
इसी दौरान उसने तीनों पालियों के एक-एक सेट को निकाला और फोटो खींचकर टेलीग्राम एप के माध्यम से अपने साथियों को भेज दिया। वर्मा को इस काम के लिए 36 लाख रुपये मिले थे। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अभिषेक वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके मोबाइल से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को संकलित किया जा रहा है। इसके अलावा उसके अन्य साथियों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। अभिषेक मूल रूप से सीतापुर के शेरपुर गांव का रहने वाला है। न्यायालय के आदेश पर आरोपी को जेल भेज दिया गया है।
एसटीएफ के अनुसार, इस कंपनी के प्रत्येक कर्मचारी पर नजर रखी जा रही है। अभिषेक वर्मा के बारे में पता चला था कि उसने हाल के दिनों बहुत बड़ी रकम खर्च की है। उसे मिले 36 लाख रुपये में से उसने नौ लाख रुपये की कार खरीदी। साढ़े नौ लाख रुपये अपने मकान की मरम्मत में लगाए। तीन लाख रुपये मां के खाते में, डेढ़ लाख रुपये अपने भाई के और दो लाख रुपये अपने पिता के खातों में जमा कराए हैं। जबकि, उसकी कंपनी उसे 21 हजार रुपये प्रतिमाह ही वेतन देती है।

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