नैनीताल । हाईकोर्ट ने गुरुवार को इंडिपेंडेंट मेडिकल इनीशिएटिव संस्था की वर्ष 2019 की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को रामनगर-मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को ईको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार को इस इलाके में अब किसी भी तरह के नए होटल, रिजॉर्ट या व्यावसायिक निर्माण की अनुमति न देने को भी कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि हाथियों के पास, अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण न किया जाए। कोर्ट ने मामले में एलीफेंट प्रोजेक्ट, सैटेलाइट मानचित्र व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन करने के बाद मामले में विस्तृत आदेश पारित किया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
दिल्ली की संस्था ने इस मामले में दायर जनहित याचिका में कहा है कि उत्तराखंड के 11 हाथी कॉरिडोर मार्गों पर अतिक्रमण कर वहां व्यावसायिक भवन बन चुके हैं। इसमें तीन हाथी कॉरिडोर रामनगर-मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी हाईवे में स्थित हैं। जबकि रामनगर के ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक व्यावसायिक निर्माण से यह पूरी तरह बंद हो चुका है। मोहान क्षेत्र में निर्माण होने से रात्रि में वाहनों की आवाजाही के चलते हाथियों को कोसी नदी में पहुंचने में बाधा हो रही है। कहा एक परिपक्व हाथी को रोज 225 लीटर पानी चाहिए। भवनों में रात्रि में बजने वाले संगीत से वन्य जीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। याचिका में कहा है कि वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलंदाजी को रोकने के बजाय हाथियों को हाईवे पर आने से रोका जा रहा है। इससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दिए आदेश में कहा है कि सरकार हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जोकि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं, उनका तुरंत संरक्षण शुरू करे। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, डीएफओ रामनगर व अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क एलीफेंट कॉरिडोर वाली इस रोड पर रात्रि में 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था करें, जिससे कि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच सकें। कोर्ट द्वारा पूर्व में ही हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च के पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी, जोकि जारी रहेगी।हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए।.राज्य के वन सचिव अगर जरूरत पड़े तो एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों के अबाध आवागमन में बाधा बनने वाले निर्माण का अधिग्रहण करें।