उत्तराखंड में पटवारी प्रणाली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, मुख्य न्यायाधीश की पीठ में आज सुनवाई

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के अंकिता भंडारी प्रकरण में एक हस्तक्षेप अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई है जिसमें उत्तराखंड में पटवारी प्रणाली को समाप्त करने की मांग की गई है। उत्तराखंड में पर्वतीय जिलों में पटवारी आपराधिक मामलों की प्रारंभिक जांच करते हैं।
सोमवार को यह मामला मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मेंशन किया गया जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज मंगलवार को इस मामले को सुनवाई की जाएगी। यह अर्जी देहरादून के एक पत्रकार ने दाखिल की है। उन्होंने कहा है कि पूरे कांड के लिए पटवारी प्रणाली जिम्मेदार है, क्योंकि इसके जरिए शिकायतें दर्ज होने और फिर उस पर कार्रवाई होने में काफी समय लग जाता है। अर्जी में दावा किया गया है कि मृतक अंकिता के पिता अपनी शिकायत दर्ज कराने पुलिस के पास गए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पटवारी के पास शिकायत की पुष्टि के लिए भेज दिया गया।परिजन शिकायत दर्ज कराने को लेकर पुलिस और पटवारी के बीच दौड़ते रहे। जब शिकायत ही दर्ज नहीं हुई तो जांच कैसे प्रारंभ होती। अर्जी में कहा गया है कि उत्तराखंड में ब्रिटिश राज के समय से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था है। कानूनगो, लेखपाल व पटवारी जैसे राजस्व अधिकारियों को अपराध दर्ज करने और जांच करने के लिए पुलिस अधिकारी की शक्ति और कार्य दिया गया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह छह माह में पटवारी प्रणाली को समाप्त करे और अपराधों की रोकथाम का काम पुलिस को दे। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी। तब से मामला सुनवाई पर नहीं आया है।

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