हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी नागरिक फरीदा मलिक की सजा चार साल से घटाकर की 11 माह

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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान मूल की अमेरिकी नागरिक फरीदा मलिक को राहत देते हुए उसकी कारावास की सजा को चार साल से घटाकर 11 महीने में तब्दील कर दिया है। साथ ही उसे अविलंब निर्वासित करने के निर्देश भी दिये हैं। फरीदा को लगभग बीस महीने पहले 12 जुलाई 2019 को भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बनबसा इमीग्रेशन चेक पोस्ट पर भारतीय अधिकारियों की ओर से पकड़ा गया था।
वह बिना वैध दस्तावेज के भारत में घुसने का प्रयास कर रही थी। उसे नेपाल से दिल्ली जा रही स्वयंभू मंजूश्री यातायात प्राइवेट लि0 की बस से गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ चंपावत के बनबसा थाना में पासपोर्ट अधिनियम, 1920 एवं 14 विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत अभियोग पंजीकृत कर जेल भेज दिया गया था।
चंपावत के तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धर्मेन्द्र कुमार की ओर से भी उसे दोषी मानते हुए 5 मार्च, 2020 को चार साल सश्रम कारावास व 20 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी गयी थी। यही नहीं चंपावत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश आशीष नैथानी की ओर से भी इसी साल 22 फरवरी, 2021 को उसकी अपील खारिज कर दी गयी थी और उसकी जमानत को भी खारिज कर दिया था।
इसके बाद मार्च, 2021 में अभियुक्त की ओर से निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला चलाने के लिये केन्द्र सरकार की अनुमति नहीं ली गयी है। साथ ही जमानत की अवधि में वह किसी आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त नहीं रही है।
मामले की सुनवाई न्यायाधीश आरसी खुल्बे की पीठ में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीके शर्मा ने बताया कि सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने विगत 31 मार्च को अंतिम आदेश पारित करते हुए अभियुक्त की चार साल की सजा को 11 महीने में तबदील कर दिया। अदालत ने आरोपी को अविलंब निर्वासित करने के निर्देश भी दिये हैं।

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