बीमा के नाम पर किसानों के साथ बड़ा मजाक: खाते में पांच से 10 पैसे तक का भुगतान

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जयपुर। वर्ष 2021 में खरीफ फसल के क्लेम का इंतजार कर रहे हजारों किसानों के साथ बीमा कंपनी ने बड़ा मजाक किया है। फसल बर्बाद होने के बाद किसानों ने क्लेम में लागत निकल आने की उम्मीदें लगाई थीं लेकिन वे तब हैरान रह गए जब उनके खाते में महज 5 से 10 पैसे तक भुगतान किए गए। अब जैसे-जैसे बीमे के भुगतान की रकम किसानों के खाते में जमा हो रही हैं, वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। यही नहीं इस मसले पर राजनीतिक दल भी एक-दूसरे पर ‘टोपी ट्रांसफर का खेल खेल रहे हैं। बता दें कि साल 2021 में समय पर बारिश नहीं होने के कारण फसलें खराब हो गई थीं। किसानों ने फसल म के लिए हजारों रुपये का प्रीमियम भरा था।
लागत भी नहीं दिया अकाल जैसी स्थिति पैदा होने के कारण सरकार के सर्वे में बड़े पैमाने पर फसलें बर्बाद होने की बात स्वीकार की गई थी। सूची में हर किसान के हिस्से में हजारों रुपये के क्लेम की बात कही गई थी। इससे किसानों को उम्मीद थी कि उनकी लागत बीमा कंपनी से मिल जाएगी। अब जब किसानों के खाते में रकम का भुगतान हो रहा है। महज 5 से 10 पैसे का भुगतान देखकर किसानों में भारी आक्रोश पैदा हो रहा है। हालांकि कुछ किसानों के खाते में 200 से 400 रुपये भी आए हैं। यह रकम थोड़ी ज्यादा जरूर है लेकिन इससे लागत की भरपाई संभव नहीं है।
सोशल मीडिया पर लोग बीमा कंपनियों के खेल का जिक्र कर व्यवस्था की खामियों को कोस रहे हैं। बाड़मेर जिले के नेता और अधिकारी सात सौ करोड़ के क्लेम आने का दावा कर रहे थे लेकिन किसानों के खाते में जमा हुई राशि सरकारों के दावों की पोल खोल रही है। इस बीच बीमा कंपनी ने प्रशासन से कहा है कि 8012 किसानों के बैंक खाते बंद हैं या उनके नंबर सही नहीं होने के कारण बीमा की रकम करीब 8.05 करोड़ रुपये जमा नहीं हो पाई हैं। यानी यह राशि भी अटक गई हैं। अब जिला परिषद ने सभी विकास अधिकारियों, पटवारियों को संबंधित किसानों के सही खाता नंबर जुटाकर जमा करने के निर्देश दिए गए है।
आरोप लग रहे हैं कि बाड़मेर जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनी ने केन्द्र और राज्य सरकार की उदासीनता के कारण 2018 से 2021 तक बीते चार वर्षों के दौरान किसानों के हजारों करोड़ रुपये डकार गई है। किसान बीमा कंपनी द्वारा 2021 के फसल मुआवजे के नाम पर 20 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये से 2000 हजार की रकम खाते में जमा कराने को केंद्र और राज्य सरकार की लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं। सनद रहे किसानों से प्रीमियम की राशि के रूप में 5 से 30 हजार रुपए तक वसूले गए थे। मजाक यह कि इसका 10वां हिस्सा भी क्लैम राशि के रूप में नहीं दिया जा रहा है।

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