उक्रांद ने उठाई क्षेत्रफल के आधार पर विधानसभा सीटों के परिसीमन की मांग: 26 मई से हल्द्वानी से शुरु होगी “उत्तराखंड बचाओ यात्रा”

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हल्द्वानी। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल व नैनीताल के जिलाध्यक्ष नैनीताल दिनेश चंद्र भट्ट ने कहा है कि उक्रांद की “उत्तराखंड बचाओ रथ यात्रा” 26 मई से हल्द्वानी से शुरु होगी। यात्रा अल्मोड़ा, बागेश्वर ,पिथौरागढ़ होते हुए कई क्षेत्रों में जाएगी। यात्रा के माध्यम से जनता को उत्तराखंड क्रांति दल की रीति नीति के बारे में बताया जाएगा। उत्तराखंड सरकार की गलत फैसलों के बारे में भी राज्य के निवासियों को जानकारी दी जाएगी।
उक्रांद महामंत्री सुशील उनियाल व जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट ने कहा कि
उत्तराखंड क्रांति दल राज्य के अंदर सशक्त कानून की व्यवस्था पर जोर देगा। उत्तराखंड के जल जंगल और जमीनों पर मूल निवास धारक लोगों का अधिकार मांगेगा। राजधानी के नाम पर जनता के धन की बर्बादी रोकने, गैरसैण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल वचनबद्ध है। जरूरत पड़ने पर संघर्ष किया जाएगा।
उक्रांद नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के भीतर खुलेआम युवाओं का शोषण हो रहा है। उनका हक मारा जा रहा है, उस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जाय। उत्तराखंड में समूह ग की सरकारी नौकरियों मे राज्य के मूल निवासियों को नियुक्ति दी जाय, कहा कि उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार का स्कूलों अस्पतालों पर ध्यान नहीं है ध्यान केवल शराब और खनन पर है। टनकपुर से बागेश्वर और रामनगर से चौखुटिया तक रेल मार्ग की पुरानी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे संगठनों से बात करके आंदोलन को आगे बढ़ाएगा। राज्य मे अवैध अतिक्रमण के नाम पर बस्तियां न उजाड़ी जाय बल्कि अतिक्रमण होने ही न दिया जाय। विधान सभा का परिसीमन अन्य हिमालयी राज्यों की भांति क्षेत्रफल के आधार पर किया जाय।
विधानसभा क्षेत्रो के परिसीमन से पूर्व अन्य हिमालायी राज्यों हेतु किया गये परिसीमन का भलीभांति अध्ययन किया जाय। राज्य मे मूल निवासी युवाओं को ही सरकारी नौकरी दी जाय इसके लिए सरकार माननीय न्यायालय के आदेशों के खिलाफ अध्यादेश लाये, जिस तरह 2018 मे अवैध मलिन बस्तियों को तोड़ने के कोर्ट के आदेश के खिलाफ विधा सभा मे अध्यादेश लायी थी और आज भी उसी अध्यादेश के वज़ह से देहरादून मे रिस्पना के अवैध अतिक्रमण व अन्य बस्तियों को तोड़ा नहीं गया। सरकार बजट का आवंटन जनसंख्या के आधार पर नहीं करे बल्कि विषम भौगोलिक स्थितिओं मे निवासरत पहाड़ी लोगों के हितार्थ देखते हुए क्षेत्रफल के आधार पर करे।

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