विभाजन विभीषिका दिवस: देश बंटवारे का दंश झेलने वालों के परिजन हुए सम्मानित

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हल्द्वानी। नगर निगम हल्द्वानी में भारत-पाकिस्तान विभाजन का स्मृति दिवस की 1947 विस्थापन के दौरान शहीद हुए परिवारों को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम विभाजन विभीषिका दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा प्रदेश महामंत्री खिलैन्द्र चौधरी, जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, महापौर जोगेंद्र रौतेला, पूर्व प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट मौजूद रहे।


महामंत्री खिलेन्द्र चौधरी ने कहा कि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय हमारे समाज का हमारे देशों का जो बंटवारा हुआ उसमें बहुत से परिवार वहां सब कुछ खोकर आ गए थे। उन्होंने दोबारा मेहनत करके और अपनी लगन और निष्ठा से दोबारा यहां प्राप्त किया यह उनका संघर्ष और देश प्रेम रहा।
महापौर डॉ जोगिंदर रौतेला श ने कहा कि हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान और उनकी सलाह का भी सम्मान करना चाहिए। हम अपने बुजुर्गों से जिन्होंने बड़े-बड़े संघर्ष देखे हैं। यह विभीषिका के दंश को झेला ह उन लोगों से हमें सीखने की आवश्यकता है।


जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारा लोगों के लिए वह समय बड़ा कष्ट दाई रहाव लोगों ने अपना सब कुछ निछावर कर दिया परिवार के परिवार उजड़ गए लेकिन इस दर्द को भूल कर हमारे भारत-पाकिस्तान के दंश को जिन्होंने झेला। आज वह अपनी मेहनत और अपने पराक्रम से दोबारा अपने को विस्थापित करने और अपने को मजबूत उन्होंने कर दिखाया।
सुरेश भट्ट ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय बहुत से लोगों ने अपने परिवारों को खो दिया। जमीन जायदाद सारा लुटा दिया, लेकिन अपने देश के खातिर बहुत से लोगों ने बलिदान कर दिया। आज ऐसे परिवारों को हम भारतीयों को सीखने की आवश्यकता है।ण उनको सम्मान और उनके पद चिन्हों पर चलने की हमको प्रेरणा मिलती है

कार्यक्रम संयोजक हरिमोहन अरोड़ा ने कहा कि सिख बंगाली वह अन्य समाज जो इस कालखंड में बिखर गए, उन्होंने आज अपने आप को दोबारा से मजबूत कर और भारतीय लोकतंत्र और संस्कृति को बचाया। हमने उनका सम्मान और उनके प्रति हमारा हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी दर्द भरी कहानियां से सबक लेकर अपने इस को देश को मजबूत करें।

कार्यक्रम संचालन प्रमोद बोरा ने किया। कार्यक्रम में महामंत्री नवीन भट्ट रंजन बर्गली, प्रतिभा जोशी,भुवन भट्ट, कार्यक्रम संयोजक हरिमोहन अरोड़ा ने कहा कि सिख समाज पंजाबी समाज एवं सिंधी समाज और बंगाली समाज ने इस दर्दनाक बंटवारे में अपने पूर्वजों का बलिदान सहा एवं उनका क्रिया कर्म भी नहीं कर पाने का अफसोस जिंदगी भर रहेगा। कार्यक्रम में बुजुर्गों को जिन्होंने बंटवारे का दंश देखा था लोगों को सम्मानित किया गया।

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