पिथौरागढ़। उत्तराखंड के आंदोलनकारी ताकतों ने जन समस्याओं के समाधान को एक गैर राजनीतिक संगठन बनाने का ऐलान किया है। राज्य के आंदोलनकारियों ने आज एक वर्चूअल बैठक की। कहा कि राज्य में जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए एक राजनैतिक बंदिशो से मुक्त संगठन की आवश्यक्ता है।
पिथौरागढ़ के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने सोशल मीडिया से इसकी शुरुआत की। राज्य के आठ जनपदों के एक्टिविस्टो को इससे जोडा। उत्तराखंड सिविल सोसायटी नाम से गुरुप बनाया था। कोविड के कारण फिजिकल बैठक नहीं हो पा रही है। आज इनकी वर्चुअल बैठक में सभी ने एक बंदिश मुक्त आजाद प्लेटफार्म होने पर सहमति दी।
कहा कि राज्य बनने के बीस साल के साथ भी राज्य आंदोलन के मुद्दो का हल नहीं निकला है। आज राज्य समस्याओं का गढ़ बन गया है। राज्य के भीतर एक ऐसा बैनर व मंच नहीं है जो एक साथ राज्य के भीतर गंभीर बहस व मुद्दो को जन की आवाज बना सके।
बैठक में कहा गया कि ग्राम स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के अनगिनत मुद्दे है जिससे राज्य की जनता त्रस्त है। इन मुद्दो का हल निकालकर हम इस राज्य को हिमाचंल से आगे ले जा सकते है।
बैठक में तय किया गया है इस तरह की कमी को पूरा करने के लिए राज्य के भीतर एक सांझा मंच बनेगा, जो सामूहिक नेतृत्व के आधार पर उत्तराखंड की आवाज को बुलंदी देगा।
बैठक में संगठन के संविधान बनाने के लिए सुभाष पंगरिया को तथा जन मुद्दो को एक सूत्र में पिरोने के लिए हीरा जंगपांगी को जिम्मेदारी सौपी गयी है।
तय किया गया है आठ जिलों में जिले से लेकर ग्राम स्तर तक इस विचार से सहमत लोगों की सूची बनायी जाय। ताकि संगठन को ताकतवर व धारदाद बनाया जाय।
बैठक में सुभाष पंगरिया, हीरा जंगपांगी, गोविन्द पंवार, प्रमोद कुमार द्विवेदी,राजेन्द्र बिष्ट, राजू देवली, नम्रता बोहरा, कला नगन्याल, रेखा रानी, प्रमोद सिंह, आर. मेहता आदि ने अपने सुझाव भी दिए।