नई दिल्ली। नोएडा में पिछले साल ट्विन टावर को उड़ाए जाने वाला धमाका आपको याद ही होगा। आपकी जेहन में वह दृश्य अब तक होगा कि कैसे 32 मंजिला टावर्स को बारूद में विस्फोट करके कुछ ही सेकेंड में मिट्टी में मिला दिया गया था। ऐसा ही सीन एक बार फिर दिखने वाला है। नोएडा के बाद अब दिल्ली में असुरक्षित करार दिए गए 12 टावर्स को उड़ाया जाएगा। मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू टावर्स को गिराने के लिए दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) अधिकारी ट्विन टावर वाले फॉर्मूले को अपनाने जा रहे हैं। डीडीए के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि मुखर्जी नगर में ढहते सिग्नेचर व्यू टावरों को सुरक्षित रूप से गिराने का एकमात्र तरीका नियंत्रित विस्फोट ही हो सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि इस फैसले पर अंतिम मुहर विशेषज्ञों के साथ सलाह के बाद लगाई जाएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौके पर निरीक्षण और डिटेल सर्वे के बाद यह तय किया जाएगा कि किस तकनीक से टावर्स को गिराया जाए। सुरक्षा, समय और लागत को ध्यान में रखकर यह फैसला किया जाएगा। डीडीए के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक सबसे सही विकल्प वही लग रहा है इसका इस्तेमाल करके नोएडा में पिछले साल ट्विन टावर्स को गिराया गया था। 2010 में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को बनाने वाले डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारी आंतरिक चर्चा हुई है और अपार्टमेंट को समय से और कुशलतापूर्वक गिरा का एकमात्र तरीका विस्फोट ही है।’
अग्रीमेंट के मुताबिक, टावर्स में रहने वाले लोगों को अपने फ्लैट खाली करने होंगे। डीडीए इन टावर्स को गिराने के बाद दोबारा यहां निर्माण करेगा और तीन साल के भीतर उन्हें वापस लाया जाएगा। तब तक फ्लैट मालिक किराए के मकानों में रहेंगे। उन्हें किराए के तौर पर डीडीए की ओर से राशि का भुगतान किया जाएगा। नाम सार्वजनिक ना करने की अपील करते हुए अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चुनौती जल्दी से जल्दी टावर्स को खाली कराना है। निवासियों से बातचीत हो चुकी है। दो महीने के भीतर इन टावर्स को खाली कर दिया जाएगा।
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में कुल 12 टावर हैं। इनमें 336 प्लैट बने हुए हैं। महज 13 साल पहले बने टावर खतरनाक हो चुके हैं। किसी दीवार में दरार तो किसी फ्लैट में छत टूटकर गिर रहा है। नवंबर 2022 में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने इसकी जांच की और रिपोर्ट में बताया कि अपार्टमेंट रहने लायक नहीं है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस साल जनवरी में डीडीए को आदेश दिया कि टावर्स को खाली करके गिरा दिया जाए और दोबारा निर्माण किया जाए।