कोटक महिंद्रा बैंक: उदय कोटक ने एक दिन में उठाया 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान

ख़बर शेयर करें -

नई दिल्ली। गुजरात के एक कारोबारी ने साल 1985 में दोस्तों और परिवारवालों से 30 लाख रुपये जुटाकर एक निवेश कंपनी की शुरुआत की। आगे की यात्रा में देश और दुनिया के बड़े-बड़े निवेशक के साथ उनकी साझेदारी हुई और एक दिन नींव पड़ी कोटक महिंद्रा बैंक की। गुजरात के जिस कारोबारी की हम बात कर रहे हैं वे हैं उदय कोटक। एशिया का सबसे अमीर बैंकर बनने के लिए उदय कोटक ने दशकों की मेहनत से कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड खड़ा किया, पर अब उनका बैंक गलत कारणों से चर्चा में है। बुधवार को आरबीआई ने बैंक के खिलाफ कार्रवाई की है।
आरबीआई की कार्रवाई के बाद कोटक महिंद्रा बैंक को गुरुवार के दिन मार्केट कैप के लिहाज से बड़ा झटका लगा। शेयरों में गिरावट से बैंक के संस्थापक उदय कोटक को एक ही दिन में करीब 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा है।
बुधवार को आरबीआई की ओर से डिजिटल चैनलों के माध्यम से नए ग्राहकों को जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिए जाने के बाद गुरुवार को कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर लगभग 11% तक टूट गए। कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर एनएसई पर गुरुवार को 197.80 (10.73%) की गिरावट के साथ 1,645.00 रुपये के भाव पर बंद हुए। बैंक में 26% की हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़े शेयरधारक और संस्थापक उदय कोटक को इस बिकवाली से खासा नुकसान उठाना पड़ा है। कंपनी के शेयरों में पिछले चार वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। बैंक के शेयरों में गिरावट से गुरुवार को उदय कोटक की संपत्ति में 1.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 10,831.6 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार 24 अप्रैल तक उनकी संपत्ति 14.4 अरब डॉलर (1,19,980 करोड़ रुपये) थी।
इस बीच, कोटक महिंद्रा बैंक की प्रतिद्वंद्वी एक्सिस बैंक सितंबर 2016 के बाद पहली बार बाजार पूंजीकरण के मामले में उससे आगे निकल गई। गुरुवार को कोटक महिंद्रा बैंक के मार्केट कैप में करीब 39,768.36 करोड़ रुपये की गिरावट आई। बुधवार को बैंक का मार्केट कैप करीब 3,66,383 करोड़ रुपये था जो गुरुवार को महज 3,26,615.40 करोड़ रुपये रह गया।
कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर टूटने से एलआईसी को कितना नुकसान?
म्यूचुअल फंड कोटक महिंद्रा बैंक में लगभग 12.82% हिस्सेदारी रखते हैं। कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर की कीमतों में तेज गिरावट से उन्हें करीब 5000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक में भारतीय जीवन बीमा निगम की 6.46% हिस्सेदारी के साथ बीमा कंपनियों की 8.69% हिस्सेदारी है। इस तरह कोटक के शेयरों में गिरावट का मतलब है कि बीमा कंपनियों को करीब ₹3456 करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम को भी इस बिकवाली में करीब ₹2569 करोड़ रुपये गंवाने पड़े हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक पर अपनी कार्रवाई के लिए बैंक की प्रौद्योगिकी प्रणालियों में लगातार जारी खामियों का हवाला दिया है। केद्रीय बैंक के अनुसार, कोटक की प्रौद्योगिकी प्रणालियों में खामियों का नुकसान उसके ठप पड़ने से ग्राहकों को को उठाना पड़ता है। आरबीआई की यह कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि बैंक ने 31 दिसंबर 2023 को समाप्त तिमाही के नतीजों में बताया था कि उसके बचत खातों में 98% लेनदेन डिजिटल तरीके से या बैंक शाखाओं पर पहुंचे बिना किए गए।
नियामकीय कार्रवाई के जवाब में कोटक महिंद्रा बैंक ने कहा है कि उसने अपने आईटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए नई तकनीकों को अपनाने के लिए कदम उठाए हैं और जल्द से जल्द बाकी बचे मुद्दों को भी तेजी से हल करने का काम जारी रखेगा। मुद्दों को तेजी से हल करने के लिए आरबीआई के साथ काम करना जारी रखेगा। आरबीआई की हालिया कार्रवाई पर बैंक के सीइओ अशोक वासवानी ने कहा कि बैंक प्रौद्योगिकी में निवेश कर रहा है और जल्द ही नियामक की ओर से उठाए गए सवालों का हल निकाल लिया जाएगा।
आरबीआई की ओर से कोटक महिंद्रा बैंक पर की गई यह कार्रवाई उदय कोटक और केंद्रीय बैंक के बीच का पहला मामला नहीं है, जिससे जटिल हालात बने। इससे पहले अरबपति भारत के केंद्रीय बैंक को बैंक (कोटक महिंद्रा बैंक) में अपनी हिस्सेदारी के आकार को लेकर अदालत तक लेकर गए थे। हालांकि कोटक अंततः 2020 में अपने स्वामित्व को कम करने पर सहमत हुए, जिससे विवाद समाप्त हो गया। इस साल की शुरुआत में ही कोटक ने लंबे समय तक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पर रहने के बाद अशोक वासवानी को बागडोर सौंपी।
कोटक महिंद्र बैंक की शुरुआत कैसे हुई?
गुजरात के रहने वाले उदय कोटक ने साल 1985 में परिवार और दोस्तों की मदद से 30 लाख रुपये (41000 डॉलर) लोन लेकर एक निवेश कंपनी की स्थापना की थी। इसके अगले वर्ष उन्होंने इस कंपनी को चलाने के लिए महिंद्रा समूह के साथ साझेदारी की। आगे चलकर उदय कोटक के साथ साझेदार के रूप में गोल्डमैन सैक्स ग्रुप जुड़ा। आगे चलकर यही कंपनी कोटक महिंद्रा बैंक बन गई जो अब आरबीआई की कार्रवाई के बाद चर्चा में है। लंबे समय तक बैंक के सीईओ रहे उदय कोटक ने साल 2006 में गोल्डमैन सैक्स के साथ अपनी साझेदारी समाप्त कर बैंक पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली थी।

Ad