उत्तराखंड में बदल रहा है मौसम चक्र, खेती पर खतरा, वैज्ञानिकों को करना होगा अध्ययन: हरीश रावत

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बागेश्व। कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आज उत्तराखंड में खेती से जुड़े लोगों को भारी नुकसान की संभावना बनी हुई है। मौसम चक्र बदल रहा है। बारिश नहीं हो रही है। वैज्ञानिकों को इस दिशा में अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेसको सलाह दी कि वह सकारात्मक एजेंडा लेकर जनता के बीच जाएं। खेती किसानी के अलावा लोकतंत्र को बचाना भी पार्टी का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि बारिश औसतन कम होने से फसल चक्र में भी बदलाव आने की संभावना है।
शनिवार को मनकोट के एक ढाबे में पूर्व मुख्यमंत्री पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बारिश पर्याप्त नहीं हुई ही। फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जंगलों की आग उत्तराखंड के लिए चेतावनी है। वनस्पतियों का अध्ययन करने की जरूरत है। फल-सब्जी आदि चक्र में बदलाव आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में पहाड़ी व्यंजनों के ढाबे जगह-जगह खोले जाने चाहिए। लंबे रूट में यात्रियों को इसका लाभ मिलेगा साथ ही रोजगार भी पैदा होगा। उन्होंने कहा कि ढाबे वालों को भूमि और बिजली का प्रोत्साहन सरकार दे। उन्होंने कहा कि विशुद्ध रूप से पहाड़ी व्यंजनों के जायका को आगे बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि छह सालों में जीरो डबपलमेंट हुआ है। केवल दावे हो रहे हैं और धरातल पर शून्य है। केंद्र और राज्य सरकार का एक जैसा हाल है। किसानों के आंदोलन को उनका समर्थन है और वह आंदोलन में शिरकत करने जा रहे हैं। इस मौके पर पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, पूर्व दर्जा मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, पार्टी जिलाध्यक्ष लोकमणि पाठक, बालकृष्ण, किशन कठायत, विनोद पाठक, कैलाश मोहन, देवेंद्र परिहार, आनंद बघरी आदि मौजूद थे।

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