देहरादून। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की राह आसान करने के मद्देनजर सरकार ने उत्तराखंड में राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू करने का निश्चय किया है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को हफ्तेभर के भीतर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश की प्रसंस्करण नीति के सिलसिले में भी जल्द मसौदा तैयार किया जाएगा।
कृषि मंत्री उनियाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को विधानसभा स्थित सभागार में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में खाद्य प्रसंस्करण मिशन और प्रसंस्करण नीति के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद कृषि मंत्री उनियाल ने बताया कि वर्ष 2012 से उत्तराखंड में राष्ट्रीय खाद्य प्रंसस्करण मिशन योजना संचालित थी। वर्ष 2015 में यह योजना केंद्र सरकार ने बंद कर दी थी। साथ ही राज्यों से कहा था कि वे चाहें तो अपने संसाधनों से राज्य स्तर पर ऐसी योजना चला सकते हैं। तब इस योजना में आठ खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रस्ताव आए थे और इनके प्रकरणों का निस्तारण नहीं हो पाया था। ये निवेशक लगातार सरकार और शासन से संपर्क कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि निवेशक हतोत्साहित न हों, इसे देखते हुए सरकार ने राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। इसमें जिला उद्यान अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी व निदेशालय स्तर के अधिकारी को शामिल किया गया है। यह टीम जल्द ही सर्वे कर अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की प्रसंस्करण नीति का मसौदा भी जल्द तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।
उनका कहना है कि औद्यानिकी में उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से इंटीग्रेटेड हार्टिकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का खाका खींचा गया है। इसका वित्त पोषण जापान की फंडिंग एजेंसी जायका से होना है और इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। योजना में नैनीताल, टिहरी, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ जिलों को शामिल करने का प्रस्ताव है। इन जिलों में किसानों को नवीनतम तकनीकी उपलब्ध कराने के साथ ही औद्यानिकी के क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाएं सशक्त की जाएंगी। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि इस योजना को आगामी सितंबर तक हर हाल में धरातल पर उतारा जाए।