साइबर ठगों ने आर्मी की नर्स को डिजिटल अरेस्ट कर ठग लिए 15 लाख रुपए

ख़बर शेयर करें -

देहरादून। छुट्टी पर आईं सेना की एक नर्स को साइबर ठगों ने डिजिटल गिरफ्तार कर 15 लाख रुपये से ज्यादा ठग लिए। ठगों ने उन्हें इंटरेक्टिव वॉइस रिस्पांस (आईवीआर) कॉल कर झांसे में लिया। डराया कि उनका मोबाइल नंबर नरेश गोयल फ्रॉड केस से जुड़ा है। लिहाजा उनके सारे नंबर बंद कर दिए जाएंगे।
वर्दी पहने एक ठग ने खुद को सीबीआई से बताते हुए रकम चेक से अपने खाते में जमा करा ली। अब पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़िता ने साइबर थाने में शिकायत देकर बताया, वह भारतीय सेना में नर्स हैं।
कुछ दिन पहले ही छुट्टी पर घर आई थीं। 17 अगस्त को उन्हें एक आईवीआर कॉल आई, जिसमें बताया गया कि उनका नंबर बंद किया जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए नौ दबाएं। उन्होंने नौ नंबर दबाया तो एक व्यक्ति ने खुद को एयरटेल कंपनी का अधिकारी बताते हुए बात की।

बताया, उनकी आईडी पर 15 जुलाई को एक नंबर चालू हुआ है। यह नंबर गैर कानूनी गतिविधियों में जुड़ा है। एक एफआईआर होने की बात बताई गई। इसके कुछ देर बाद एक व्यक्ति जिसने वर्दी पहनी हुई थी, उसने खुद का नाम सीबीआई इंस्पेक्टर राजेश मिश्रा बताया।
उसने कहा, उनका अकाउंट नंबर नरेश गोयल फ्रॉड केस से लिंक है। ऐसे में उन्हें बहुत जल्द किसी बड़ी मुसीबत में फंसना पड़ सकता है। इस व्यक्ति ने उन्हें ऑनलाइन रहने को कहा और तमाम पूछताछ की। डर दिखाया कि कोर्ट साक्ष्यों पर चलता है और उनके खिलाफ सारे साक्ष्य सीबीआई के पास हैं।

उसने अकाउंट का सारा पैसा फ्रीज कराने का भी डर दिखाया। सारी बातें ऑनलाइन वीडियो कॉल पर हो रही थीं। वह कहीं भी आ जा नहीं सकती थी। इसके बाद डर दिखाया गया कि उनका पैसा मनी लॉन्ड्रिंग में भी लगाया जा रहा है। वह डर गईं और राजेश के कहे अनुसार उन्होंने 15.09 लाख रुपये का चेक उनके खाते में लगा दिया।
चेक कैश भी हो गया। कुछ देर बाद उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि वह कोई टेलीकॉम या सीबीआई नहीं है, बल्कि साइबर ठग हैं। एसओ रायपुर प्रदीप नेगी ने बताया कि मामले में जांच शुरू कर दी गई है।
ठग इन दिनों हर नंबर पर आईवीआर कॉल कर लोगों को झांसे में ले रहे हैं। आईवीआर कॉल कंप्यूटर जनरेटेड कॉल होती है। यह ऐसे ही होती है, जैसे कोई कंपनी या कस्टमर केयर से बात होती है। इसमें लोगों को बातचीत जारी करने के लिए विभिन्न नंबर दबाने के लिए कहा जाता है। ऐसे में लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं कि यह किसी कंपनी या एजेंसी का ही फोन है।

Ad