देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिप़क्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, केदारनाथ के गर्भ गृह में सोना लगाने के मामले में कांग्रेस ने नहीं बल्कि हमेशा श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति और उत्तराखण्ड सरकार ने झूठ बोलकर या गलत तथ्य रखकर भ्रम और संशय की स्थिति पैदा की है। इस मामले में किसी भी निष्कर्ष पर तभी पंहुचा जा सकता है जब सरकार इस मामले की जांच के लिए कथित रुप से गठित जांच समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करे। यशपाल आर्य केदारनाथ गर्भ ग्रह में सोना लगाने के संबध में सतपाल महाराज के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। महाराज ने अपने बयान में कहा था कि, जब दान दाता ने 23 किलो की पर्ची कटवाई तो 228 किलो सोना कैसे गायब हुआ ?
श्री आर्य ने कहा कि, अक्टूबर 2022 में मंदिर के कपाट बंद होने से पहले जब सोना लगा तब प्रेस और मीडिया में व्यापक रुप से प्रचारित किया गया कि, 228 किलो सोना लगा है। उस समय सोना लगने की इन खबरों के साथ मंदिर समिति के अध्यक्ष जी का बयान भी लगता था या दिखाया जाता था। यदि 228 किलो सोना लगाने की खबर गलत थी तो मंदिर समिति या सरकार को तुरंत इस खबर का खण्डन करना चाहिए था। आर्य ने कहा कि उस समय प्रकाशित खबरों से पता चला था कि, मंदिर समिति के अध्यक्ष ने तब केन्द्रीय गृह मंत्री को पत्र भेजकर कहा था कि इतनी अधिक मात्रा में सोना लगने के बाद केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा केन्द्रीय सुरक्षा बलों को दी जानी चाहिए। श्री आर्य ने कहा कि, मंदिर समिति या गृह मंत्री को वह पत्र सार्वजनिक करना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, इस मामले में स्वयं मंदिर समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए जांच की मांग की थी। मामला बढ़ने पर धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने स्वयं धर्मस्व सचिव को सोना लगाने के मामले की जाँच करने को आदेशित किया था। सतपाल महाराज ने 23 जून को ट्वीट कर अपने आदेश की जानकारी सार्वजनिक की थी। महाराज ने इस साल भी फिर कहा था कि, सोने के मामले में वे जल्दी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगें। सरकार या महाराज जी को बताना चाहिए कि, मंदिर समिति के सदस्यों की जांच की मांग और महाराज जी के जांच के आदेश का क्या हुआ ? महाराज को उस उच्च स्तरीय समिति की जांच सार्वजनिक करनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा रही रसीद की बात तो रसीद जारी करके मंदिर समिति ने स्वयं पर खुद ही प्रश्न खड़े कर दिए है। उन्होनें कहा कि, यह सर्वविदित तथ्य है कि, साल 2022 में केदारनाथ जी में सोना कपाट बंद होने से पहले अक्टूबर माह में लगा। साल 2022 में केदारनाथ जी के कपाट 26/27 अक्टूबर को हो गए थे तब तक गर्भ गृह में सोना लगने का कार्य पूरा हो गया था। कपाट बंद होने के बाद मंदिर में कोई भी प्रवेश नही कर सकता है।
इस सोने को केदारनाथ मंदिर उत्तराखण्ड पंहुचानें के लिए कम्पनी द्वारा जारी टैक्स इनवाइस महालक्ष्मी अम्बा ज्वैलर्स ने जारी किया है वह दिनांक 6 नवंबर 2022 की है। मंदिर समिति को साफ करना चाहिए कि, सोना लगने के बाद बिल जारी क्यों हुआ ? जिस रिसीव की बात महाराज जी कर रहे हैं वह 15 फरवरी 2023 की है। मंदिर समिति को बताना चाहिए कि, जो सोना परतों के रुप में केदारनाथ जी के मंदिर के गर्भ गृृह में अक्टूबर 2022 में लग चुका था उसे मंदिर समिति ने किस विधि से 3 महिने बाद तोला कर रिसीव किया था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, मंदिर समिति उत्तराखण्ड सरकार का एक विभाग है जिसमें कोई भी कार्य मंदिर समिति के 1939 के एक्ट और उत्तराखण्ड सरकार की वित्तीय हस्तपुस्तिका के अनुसार करती है। जो इस मामले में नहीं हुए। उन्होंने कहा कि, सरकार या महाराज जी को मंदिर समिति की उस बैठक के कार्यवृत को जारी करना चाहिए जिसमें समिति द्वारा सर्वसम्मति के साथ सोना दान लेने का निर्णय लिया गया था और उस अधिकारी या कर्मचारियों की समिति का खुलासा करना चाहिए जिसकी देखरेख में सोने को परतों में बदला गया और फिर तांबे के ऊंपर कोटिंग कर लगाया गया।
यशपाल आर्य ने कहा कि, सरकार या समिति ये कह कर अपने हाथ नहीं झाड़ सकती है कि, सोने को लाने और लगाने को काम कम्पनी ने किया है इसलिए उसे कुछ भी पता नहीं है। नियमों के अनुसार मंदिर समिति की हर स्तर पर जिम्मेदारी बनती थी जो निहित स्वार्थों के कारण मंदिर समिति ने नहीं निभायी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, मंदिर समिति द्वारा जारी सरीदों से यह प्रश्न उठता है कि, सोना लगने के लगभग 20 दिन बाद कम्पनी ने टैक्स इनवाइस क्यों जारी किया ? मंदिर समिति ने सोना लगने के 3 महिने बाद कैसे और किस विधि से लगे हुए सोने को रिसीव किया। रिसीव में सोने की गुणवत्ता जैसे कैरेट आदि का कहीं उल्लेख नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, 2022 से लेकर अब तक के घटनाक्रम से यह साफ होता है कि, केदारनाथ जी के मंदिर के गर्भ ग्रह में सोना लगाना एक बड़ा घोटाला है यह तब तक नहीं खुल सकता जब तक इसकी जांच सीबीआई और ईडी न करे।