हरिद्वार। उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में संगठित अपराध, हत्या व रंगदारी वसूली आदि गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया प्रकाश पांडेय ‘पीपी’ (अब प्रकाशानंद गिरि) को जेल में कंठी-माला पहना दीक्षा देने वाले जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि को श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा ने पद से निलंबित कर दिया है। जांच में उनपर लगे आरोप सत्य पाए जाने पर उन्हें अखाड़े से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने पूछे जाने पर इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि थानापति राजेंद्र गिरि ने न तो जूना अखाड़ा प्रबंधन और न ही अपने वरिष्ठों को से इसकी पूर्व अनुमति ली थी, न ही कोई जानकारी दी। कहाकि राजेंद्र गिरि को अखाड़े की ओर की जा रही मामले की जांच पूरी होने तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
जांच के रिपोर्ट आने के बाद राजेंद्र गिरि और उनके साथियों पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। आरोपों की पुष्टि होने पर उन्हें जीवनपर्यंत के लिए अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।
आरोप है कि पीपी ने साधु बन प्रयागराज कुंभ के बहाने जेल से बाहर आने की योजना के तहत अल्मोड़ा जेल में दीक्षा ली थी। इस काम में उसका सहयोग श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि और उनके 11 साथियों ने किया था। इन्हीं 11 में से तीन ने जेल के भीतर जाकर पीपी को दीक्षा दी थी, जिसके बाद राजेंद्र गिरि ने पीपी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश भी घोषित कर दिया। उन्होंने अल्मोड़ा जेल के बाहर पत्रकारवार्ता आयोजित कर इसकी घोषणा की थी। इसे लेकर जूना अखाड़ा प्रबंधन राजेंद्र गिरि ने नाराज था, उन्होंने यह सब करने से न तो अखाड़ा प्रबंधन और न ही अपने वरिष्ठों को विश्वास में लिया था।