उत्तराखंड में कांग्रेस का नेतृत्व परिवर्तन: क्या राहुल गांधी की मर्जी के बिना बन जाएंगे नए अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष

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गिरीश जोशी

हल्द्वानी। उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद पार्टी में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रही लङाई क्या कांग्रेस के पुराने अध्यक्ष राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बिना समाप्त हो जाएगी। इतना तो तय माना जा रहा है नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को ही बनाया जाएगा। इन परिस्थितियों में अध्यक्ष कुमाऊँ से बनेगा। इसके सबके बाद भी कांग्रेस में परदे के पीछे काम कर रहे राहुल गांधी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हाल फिलहाल में हुए कांग्रेस के कई प्रदेशों में नियुक्ति इसका प्रमाण है।
कांग्रेस के नेतृत्व की कमान थामने को लेकर ऊहापोह का दौर चाहे अभी खत्म नहीं हुआ हो मगर यह साफ होता जा रहा कि राज्यों में पार्टी संगठन पर राहुल गांधी धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। केरल में पीढ़ीगत बदलाव करने के बाद तेलंगाना में भी पार्टी हाईकमान ने राहुल के भरोसेमंद लोकसभा सदस्य रेवंत रेड्डी को कई पुराने नेताओं के एतराज को दरकिनार कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर सौंपी है। केरल और तेलंगाना से ठीक पहले महाराष्ट्र में नाना पटोले को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपे जाने से स्पष्ट है कि भले ही औपचारिक रूप से राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर दोबारा वापसी अभी नहीं हुई है, मगर अहम संगठनात्मक फैसले उनके मनमाफिक ही लिए जा रहे हैं।
पार्टी हाईकमान ने तेलंगाना की जमीनी राजनीति का आकलन करने और कई दौर के सर्वे के बाद पिछले साल ही रेवंत रेड्डी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने का न केवल मन बना लिया था, बल्कि उनकी नियुक्ति की फाइल भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंच गई थी। तब सूबे के कांग्रेसी दिग्गजों ने एकजुट होकर रेवंत के विरोध में हाईकमान पर दबाव बनाया और नियुक्ति की घोषणा अंतिम क्षणों में टल गई।
बीते नवंबर-दिसंबर में हैदराबाद नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का जिस तरह सफाया हुआ और भाजपा मजबूत विपक्ष के रूप में उभरी उसके बाद से ही पार्टी नेतृत्व तेलंगाना में एक मजबूत चेहरे को कमान सौंपने के पक्ष में था। जमीनी सियासी पकड़ और लोकप्रियता इन दोनों कसौटियों पर रेवंत रेड्डी फिट बैठ रहे थे।
रेवंत को आगे बढ़ाने की रणनीति
खास बात यह भी थी कि संसदीय मामलों में अपनी सक्रियता के जरिये वे राहुल गांधी की भी पसंद बन गए थे। लेकिन सूबे के कांग्रेसी दिग्गज उन्हें बाहरी बता संगठन की कमान देने का विरोध कर रहे थे। वैसे तेलंगाना ही नहीं हाल ही में पार्टी नेतृत्व ने केरल में हुए चुनाव के बाद के सुधाकरण को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वीडी सतीशन को विपक्ष का नेता नियुक्त कर सूबे में संगठन का पूरा चेहरा ही बदल दिया। केरल से सांसद होने के नाते सूबे की सियासत में खास दिलचस्पी रख रहे राहुल की इस बदलाव में भी सबसे अहम भूमिका रही।
पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष रहे वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला और पूर्व सीएम ओमान चांडी जैसे सूबे के दिग्गजों को भी हाईकमान के त्वरित फैसले ने हतप्रभ कर दिया था। इसी तरह महाराष्ट्र में भी चार महीने पहले कई पुराने धुरंधरों की दावेदारी को किनारे करते हुए पार्टी ने नाना पटोले को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर सौंप दी थी। आक्रामक व मुखर पटोले भी राहुल गांधी की ही पसंद हैं। और इसीलिए संगठन की जिम्मेदारी संभालने के लिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दिया। तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र में हुई इन नियुक्तियों से साफ है कि पार्टी में असंतोष और उठापटक के बाद भी राहुल अपने फैसले लागू करा रहे है।
उत्तराखंड में भी राहुल गांधी की मजीठिया के बिना क्या प्रभारी या अन्य नेता अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर नियुक्ति कर देंगे। माना जा रहा है कि उत्तराखंड कांग्रेस का अध्यक्ष कुमाऊँ से बनेगा और वह भी ब्राह्मण तो फिर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसको यह ताज मिलेगा, अभी तय नहीं है। इतना जरूर है कि कुमाऊँ में कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे प्रकाश जोशी, पूर्व विधायक मनोज तिवारी, युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे भुवन कानङी और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता,मथुरा दत्त जोशी के नाम प्रमुखता से उठाए जा रहे हैं।

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