राज्य स्थापना दिवस पर संकल्प: पहाड़ी आर्मी को किया जाएगा मजबूत, पलायन, रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर होगा संघर्ष

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हल्द्वानी। राज्य स्थापना दिवस में पहाड़ी आर्मी संगठन के बैनर तले उत्तराखंड ने क्या खोया क्या पाया शीर्षक पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में कई सामाजिक संगठनों के प्रमुखों ने प्रतिभाग किया।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में पिछले चौबीस वर्षों में पर्वतीय राज्य की अवधारणाएं के विपरित कार्य हुआ। राज्य में पलायन,रोजगार महिला सुरक्षा, परिसीमन को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। पहाड़ में जंगली जानवर बंदर, सुअरों ने खेती पाती खत्म कर दी है। पहाड़ की संस्कृति विलुप्त हो रही है। राज्य के संसाधनों को दोहन करने की लुट मची हुई है। सरकारें विफल है। अफसरशाही प्रदेश में हावी है। ऐसे में आमजन की सुनवाई नहीं है।
इसलिए अब हम सभी संगठनों को एकजुट होकर एक बैनर तले आंदोलन को धार देने की आवश्यकता है। इस गोष्ठी में संगठन के विस्तार करने पर चर्चा हुई, जिसके लिए आगामी 17 नवंबर को बैठक की जाएगी। योजनाबद्ध तरीके से आंदोलनों को धार दी जाएगी।
कहा कि प्रदेश में निरंकुश सरकार है, जो आंदोलनकारियों के दमन करने में लगी है। जिसका जीता जगता उदाहरण बेजोगार संघ का अध्यक्ष बॉबी पवार है।
बैठक में संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत,जिला अध्यक्ष मोहन कांडपाल, आर एस भंडारी, जे सी तिवारी, ए के पाठक,विवेक शाह मनमोहन जोशी,संजय राठौर,प्रकाश चंद्र पाठक,के एस मनराल,विपिन चंद्र,भगवंत सिंह राणा,गोपाल सिंह बिष्ट रमेश चंद्र पंत,गौरव गोस्वामी,गिरधर सिंह बिष्ट कपिल शाह, कृष्णा नेगी,अक्षय भट्ट,विनोद नेगी,कमलेश जेठी,अरुण शाह ,राजेंद्र सिंह भंडारी,राकेश शर्मा आदि मौजूद रहे।

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