ग्राम प्रधानों ने कहा-सांसद, विधायक को निधि तो प्रधानों को क्यों नहीं, अब करेंगे लंबा आंदोलन

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हल्द्वानी। दस दिनों तक सभी विकासखंडों में तालाबंदी कर 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन करने वाले ग्राम प्रधान अब जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन करेंगे। फिर भी सरकार ने नहीं सुनी तो पूरे प्रदेश भर के ग्राम प्रधान देहरादून कूच करेंगे। हल्द्वानी में आयोजित बैठक में ब्लॉक से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी को आंदोलन में सक्रिय करने को लेकर चर्चा की गई।
गांव से जुड़े विकास के मुद्दों व बजट आवंटन को लेकर प्रक्रिया दुरुस्त करने के लिए हाल में प्रधानों ने आंदोलन छेड़ अफसरों के कक्ष से बाहर कार्यालयों में ताले जड़े थे। वहीं, पीलीकोठी स्थित बैंक्वेट हॉल में प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भाष्कर संभल की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुमाऊं मंडल के सभी पदाधिकारी पहुंचे। जिलाध्यक्ष हीरा बल्लभ बधानी ने कहा कि प्रधानों की पीड़ा जायज है, मगर सरकार सुनवाई नहीं कर रही।
20 जुलाई तक मांग पूरी नहीं होने पर 21 जुलाई से सभी जिला मुख्यालयों से आंदोलन शुरू कर राजधानी तक ले जाया जाएगा। इस दौरान संगठन की प्रदेश सचिव सीमा पाठक, संरक्षक मनोहर आर्य, कुंडल महर, श्याम सुंदर सौन, मनोज पड़लिया, शेखर दानी, मिथिलेश डंगवाल, हेमा आर्य, राजेंद्र बिष्ट, सरिता अधिकारी, ब्रहृमानंद, रविंद्र सिंह, मनोज तड़ागी समेत अन्य पदाधिकारी थे। संचालन राजेंद्र बिष्ट ने किया।
प्रधानों ने कॉमन सर्विस सेंटर को प्रतिमाह 2500 रुपये ग्राम पंचायत से देने का आदेश निरस्त करने, 15वें वित्त में की जा रही कटौती को खत्म करने, 73वें संविधान संशोधन के प्रावधान को लागू कर 29 विभाग पंचायत को शीघ्र ट्रांसफर करने, मनरेगा के कार्य दिवस को सालाना 100 से बढ़ाकर 200 दिन करने,
विधायक व सांसद निधि की तरह ग्राम पंचायत की भी पांच लाख सालाना निधि घोषित करने, आपदा मद के जरिये हर साल पंचायतों को पांच लाख रुपये देने, पीएम आवास योजना में चयनित लाभार्थियों को पैसा जल्द देने, कोरोना संक्रमण के कारण पंचायतों का कार्यकाल दो साल और बढ़ाने की मांग उठाई है।

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