आशा वर्कर्स का सरकार पर आरोप, आंदोलन तेज करने के लिए किया जा रहा है मजबूर

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हल्द्वानी। उत्तराखंड भर के आशा वर्कर्स का कार्य बहिष्कार व धरना जारी है। मासिक वेतन, कर्मचारी का दर्जा समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर दो अगस्त से चल रही आशाओं की हड़ताल आशा वर्करों की राज्यव्यापी हड़ताल व धरने को ग्यारह दिन पूरे हो गए।
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि “सरकार फैसला लेने में देर करके आशाओं को थकाने की कोशिश कर रही है लेकिन आशा वर्कर्स न थकने वाली हैं और न ही रुकने वाली। जब तक राज्य सरकार द्वारा सम्मानजनक मासिक मानदेय की स्पष्ट घोषणा नहीं की जाती आशा आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल व धरने के रूप में जारी रहेगा।”

कहा गया कि, “मजबूत एकता और ईमानदारी से संघर्ष ही सफलता की कुंजी है और आशाएँ एकता और संघर्ष की राह पर चलकर अवश्य ही जीत हासिल करेंगी। इस बार राज्य भर की आशा वर्कर्स ने ‘जब तक मासिक वेतन नहीं तब तक काम नहीं’ का पक्का मन बना रखा है। इसलिए सरकार को चाहिये कि देरी न करते हुए तत्काल आशाओं के लिए सम्मानजनक मासिक मानदेय की घोषणा कर शासनादेश जारी करे।”
ग्यारवें दिन हुए धरने में रिंकी जोशी, रीना बाला, भगवती, दीपा बिष्ट, यशोदा बोरा, गीता थापा, अनुराधा, वंदना तिवारी, शांति शर्मा, रजनी, आशा जोशी, किरन, मंजू, अनिता, मनीषा, मीना, शहाना, लक्ष्मी, सीमा आदि समेत बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रही।

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