तालिबान का अफगानिस्तान के 13 प्रांतों पर कब्जा, गजनी, हेरत,कंधार के बाद लश्कर गाह भी कब्जाया

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काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान का पलड़ा अब भारी होता जा रहा है। गजनी, हेरात और कंधार के बाद अब तालिबान ने लश्कर गाह पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के प्रमुख दक्षिणी शहर लश्कर गाह पर कब्जा कर लिया है। यह बीते 24 घंटे में अफगानिस्तान का चौथा शहर है, जहां तालिबान राज शुरू हो गया है। लश्कर गाह से ठीक पहले गुरुवार की देर रात तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा किया। इस तरह से कंधार के बाद लश्कर गाह अफगानिस्तान की 34 प्रांतीय राजधानियों में से 13वीं राजधानी है, जिस पर आतंकी संगठन का कब्जा हो गया है।
अफगान सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ सूत्र ने विद्रोहियों के दावे की पुष्टि करते हुए शुक्रवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि तालिबान ने प्रमुख शहर लश्कर गाह पर कब्जा कर लिया है। कंधार और लश्कर गाह पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद अब अगानिस्तान सरकार की परेशानियां और बढ़ गई हैं। अब अफगानिस्तान सरकार के हाथ में सिर्फ राजधानी काबुल और देश के कुछ और हिस्से रह गए हैं।
इससे पहले कंधार को लेकर अधिकारियों ने बताया कि कंधार पर तालिबान ने गुरुवार रात को कब्जा कर लिया और सरकारी अधिकारी और उनके परिजन हवाई मार्ग से भागने के लिए किसी तरह हवाई अड्डे पहुंच गए। इससे पहले दिन में बृहस्पतिवार को तालिबान ने अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया था। तालिबान के लड़ाके ऐतिहासिक शहर में ग्रेट मस्जिद से आगे बढ़ गए और सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक सरकारी इमारत से रूक-रूक कर गोलीबारी की आवाज आ रही थी जबकि बाकी के शहर में शांति थी और वहां पर तालिबान का कब्जा हो चुका था।
गजनी पर तालिबान के कब्जे से अफगानिस्तान की राजधानी को देश के दक्षिण प्रांतों से जोड़ने वाला अहम राजमार्ग कट गया। काबुल अभी सीधे खतरे में नहीं है लेकिन तालिबान की देश में पकड़ मजबूत होती जा रही है और दो तिहाई से अधिक क्षेत्र पर वह काबिज हो गया है। आतंकी संगठन अन्य प्रांतीय राजधानियों में सरकारी बलों पर दबाव बना रहा है। बदतर होते सुरक्षा हालात को देखते हुए अमेरिका काबुल में अमेरिकी दूतावास से कर्मियों को निकालने के लिए 3,000 सैनिकों को भेज रहा है। वहीं, ब्रिटेन भी देश से अपने नागरिकों को निकलने में मदद देने के लिए कुछ समय के लिए करीब 600 सैनिकों की वहां पर तैनाती करेगा।

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