हल्द्वानी। उत्तराखंड में चल रही आशा वर्कर्स का कार्य बहिष्कार व धरने जारी है। की स्थानों से हल्द्वानी पहुंचे आशा वर्कर्स ने कहा है कि “यह हड़ताल आशाओं के हक और सम्मान की लड़ाई है जिसे हम जरूर जीतेंगे।”
आशा हड़ताल और धरने के तेइसवें दिन ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने कहा कि, “आशा वर्करों ने उत्तराखण्ड राज्य की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को अपने दम पर जी जान से चलाकर ताकत दी है। लेकिन अफसोस की बात है कि आशा कामगारों को प्रदेश की धामी सरकार सम्मानजनक मानदेय तक देने का फैसला तक नहीं ले पाई है, जबकि वे नियमित वेतनमान पाने की हकदार हैं।”
यूनियन ने कहा कि, “राज्य सरकार द्वारा इस तरह से आशा वर्करों की मांगों को अनसुना करना जारी रहा तो आगामी विधानसभा चुनावों में इसका जवाब दिया जायेगा। इसलिए सरकार तत्काल आशाओं को मासिक वेतन देने की घोषणा करे।”
हड़ताल के तेइसवें दिन के धरने पर बैठने वालों में कमला कुंजवाल, डॉ कैलाश पाण्डेय, रीता कश्यप, सरस्वती पुनेठा, रिंकी जोशी, शांति शर्मा, रीना बाला, मनीषा आर्य, भगवती बिष्ट, चन्द्रकला, अनुराधा, नीमा आर्य, पुष्पा आर्य, ममता पपनै, जरीन, अम्बिका जोशी, भगवती पाण्डे, पूनम, गंगा लटवाल, दीपा, रजनी, मंजू, चम्पा, बसंती, यास्मीन, सरिता, रेनू, रेखा, हेमा, तारा आदि शामिल रहीं। बाज़पुर से यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष और चंपावत जिले की जिलाध्यक्ष सरस्वती पुनेठा भी हल्द्वानी के धरने पर पहुँची।