लॉकडाउन में उत्तराखंड में कुल 327 लोग हुए बेरोजगार, इन सरकारी आकडों से भाजपा विधायक भी संतुष्ट नहीं

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देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना लॉकडाउन में भले ही उत्तराखंड के गांव फिर से आवाद होने लगे हैं। हजारों लोगों को नौकरी चले जाने से वह स्वरोजगार को मजबूर हुए हैं, मगर सरकार के आंकडे इस सबके विपरीत है। विधानसभा में आज श्रम मंत्री ने इसकी लिखित जानकारी भी दी।
श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर में 327 श्रमिकों की ही छटनी हुई है।
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में विधायक मनोज रावत ने श्रम मंत्री से कोविड के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालयों को प्राप्त शिकायतों के अनुसार इस दौरान 327 श्रमिकों की सेवा समाप्त की गई।
सरकार बेरोजगार हुए लोगों के को विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं और मनरेगा के जरिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही है। उन्होंने बताया कि कोविड काल में कौशल विकास विभाग के पोर्टल पर 25,317 प्रवासी श्रमिकों ने वापस लौटने की जानकारी दी थी, लेकिन इसमें से अब अधिकांश लौट गए हैं। वहीं विधायक देशराज कर्णवाल ने उद्योगों में श्रमिकों की बिना बताए छटनी और कम वेतनमान दिए जाने को लेकर सरकार से सवाल किया।
सरकार के मंत्री के इस जवाब से सत्तारूढ पार्टी के विधायक भी संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। सितारगंज के विधायक विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सितारगंज स्थित सिडकुल क्षेत्र में कई लोगों को नौकरी से निकाला गया है। ऐसे श्रमिक श्रम न्यायालय में चले गए हैं, लेकिन वहां वादों की सुनवाई सुस्त हो रही है। बहुगुणा ने श्रम न्यायालयों में दायर वादों की सुनवाई तय समय सीमा के भीतर करने को लेकर सवाल उठाया। श्रम मंत्री ने ऐसे वादों का समयबद्ध निस्तारण का आश्वासन दिया है।

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