हल्द्वानी। सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत उपनल कर्मचारी समिति ने कहा है कि सरकार कर्मचारियों को समान काम के बाद भी अधिकार नहीं दिए जाने से स्पष्ट है कि सरकार की मंशा सुशीला तिवारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में तैनात 695 कर्मचारियों की उपेक्षा करना है।
समिति के अध्यक्ष पीएस बोरा ने आज पत्रकारों के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राजकीय मेडिकल काॅलेज और, सुशीला तिवारी अस्पताल में आउट सोर्सिंग के माध्यम से 695 कर्मचारियो की तैनाती की गई। इनमें स्टाफ नसॅ, टैक्निशियन, लिपिक, स्टेनो, डाटा इंट्री आपरेटर, फामासिष्ट, मेन्टिनेंस, वाडॅवाय, वाडॅआया,सफाई कर्मचारी आदि हैं। सरकार ने बाद में इन कर्मचारियों को उपनल कर्मचारी घोषित कर दिया। कहा कि उन्हें उपनल के बजाए स्वास्थ्य विभाग से वेतन दिया जाता है। समिति अध्यक्ष श्री बोरा ने कहा कि 2010 में फॉरेस्ट अस्पताल का राजकीयकरण किया गय। राजकीयकरण शासनादेश में भी यह उल्लेख किया गया है कि जो जहां है जैसा है, उसी स्थिति में लिया जाएगा। उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 20 जुलाई 2016 को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को समायोजित किया जाएगा। इस पर आज तक अमल नहीं हुआ।
श्री बोरा ने कहा कि कर्मचारी इस संस्थान में दस से 20 साल से सेवा दे रहें हैं। काम के अनुभव को देखते हुए संस्थान के लिए अति आवश्यक हैं। कहा कि राजकीय मेडिकल काॅलेज को छोड़कर सरकार लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय हल्दूचौड़, पौङी गढ़वाल का राठ महाविद्यालय का राजकीयकरण करने के बाद सभी कर्मचारियों को विनियमित किया गया। उन्हें शैक्षिक योग्यता पूरा करने के लिए समय दिया गया। कहा कि इस सबके बाद भी सुशीला तिवारी और, राजकीय मेडिकल काॅलेज के कर्मचारियो का उत्पीड़न क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा जहां हैं जैसे हैं, वन टाइम सेटलमेंट और, समाज काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर संघर्ष जारी रहेगा। इस संबंध में कल बुधवार को नैनीताल में मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे।
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