उत्तराखंड मे पुलिस के किसी भी दुराचरण पर करें राज्य व जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण मे शिकायत- आर.एस.राघव

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उत्तराखंड मे पुलिस के किसी भी दुराचरण पर करें राज्य व जिला स्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण मे शिकायत-
आर.एस.राघव (एडवोकेट),सदस्य, राज्य स्तरीय प्राधिकरण

(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून- देश के अनेक भागों में आम नागरिको के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार करने,एफ.आई.आर दर्ज न करने,समुचित सहायता उपलब्ध न कराने जैसी शिकायतें प्रकाश में आती रहती है। परन्तु उत्तराखंड में पुलिस का इस प्रकार का कोई भी दुराचरण करना संभव नहीं हो सकेगा।
उक्त संकल्प राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सदस्य आर.एस.राघव एडवोकेट ने एक साक्षात्कार में व्यक्त किया। श्री राघव ने जानकारी देते हुए बताया कि-
1-साक्ष्य व शपथपत्र के साथ करें प्राधिकरण मे शिकायत- श्री राघव ने बताया कि एफ.आई.आर दर्ज न किए जाने, बदसलूकी किए जाने, समुचित सहायता उपलब्ध न कराने जैसी गतिविधियां दूराचरण की श्रेणी में आती हैं। जिसकी शिकायत साक्ष्यों व शपथपत्र के साथ प्राधिकरण के समक्ष किए जाने पर सुनवाई के उपरांत दोषी के विरुद्ध दन्डात्मक कार्यवाही की जाती है।
2- राज्य व जिले स्तर पर गठित हैं शिकायत प्राधिकरण- अपर पुलिस अधीक्षक से लेकर पुलिस महानिदेशक स्तर तक के अधिकारियों से सम्बंधित शिकायतें राज्य स्तर के प्राधिकरण मे जबकि सिपाही से लेकर उपाधीक्षक स्तर से सम्बंधित शिकायतें जिला स्तरीय प्राधिकरण मे किए जाने का प्रावधान है।
उत्तराखंड में जिला स्तर केवल दो प्राधिकरण गठित हैं। जो क्रमशः गढवाल व कुमाऊ मन्डल से सम्बंधित मामलो पर सुनवाई करते हैं।
3;आम नागरिकों से लेकर पुलिसजन तक कर सकते हैं शिकायत*- श्री राघव ने बताया कि प्राधिकरण मे केवल आम नागरिक ही नहीं अपितु पुलिसजन भी दूराचरण से सम्बंधित किसी मामले की अपने ही विभागीय अधिकारियों की शिकायत कर सकता है।
4- राज्य सरकार द्वारा भी अग्रसारित की जा सकती है कोई शिकायत-* प्राधिकरण को राज्य सरकार द्वारा भी उन्हें प्राप्त किसी शिकायत को अग्रसारित कर भेजा जा सकता है, जिस पर प्राधिकरण दोनों पक्षों को नोटिस भेज कर सुनवाई कर सकता है।
5- जांच की द्विस्तरीय है व्यवस्था- प्राधिकरण के पास किसी भी मामले की जांच की दो स्तरीय व्यवस्था है। प्रथमतया जिस अधिकारी के दुराचरण से सम्बंधित शिकायत है, उसके कम से कम एक स्तर ऊंचे अधिकारी से जांच कराई जाती हैं लेकिन यदि प्राधिकरण उचित समझेगा तो अपने ही किसी सदस्य से पूरे मामले की जांच कराई जा सकती है। यह अवश्य है कि जांच करने वाला सदस्य मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो सकता है।
6- पांच सदस्यीय प्राधिकरण है गठित/अंजु श्री जुयाल जी हैं सचिव-उत्तराखंड में पांच सदस्यीय प्राधिकरण गठित है। जिसमें जस्टिस बी.एस.वर्मा (सेवानिवृत्त न्यायाधीश, उच्चन्यायालय) अध्यक्ष हैं, जबकि
गोविंद सिंह धर्मशक्तु (सेवानिवृत्त जिला जज) ,आर.एस.राघव (वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता), जगतराम जोशी (सेवानिवृत्त डी.आई.जी) एवं जगपाल सिंह बिष्ट (सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, अभियोजन) कुल चार सदस्य हैं। प्राधिकरण के सचिव एवं निबन्धक के पद पर एच.जे.एस अधिकारी श्रीमती अंजु श्री जुयाल जी पदस्थ हैं।
7- बहुमत के आधार पर होता है निर्णय- प्राधिकरण मे किसी भी मामले की पांचों सदस्यों के द्वारा एक ज्यूरी के रूप में की जाती है जिसमें बहुमत के आधार पर निर्णय दिया जाता है।
8-आमजन के मध्य किया जा रहा है समुचित प्रचार प्रसार -श्री राघव ने बताया कि पुलिस के दूराचरण की प्राधिकरण मे शिकायत किए जाने के संदर्भ में आमजन के मध्य समुचित प्रचार प्रसार प्रारंभ कर दिया गया है।
इस हेतु जिला विधिक प्राधिकरणों को पत्र भी लिखा गया है। विज्ञापन के माध्यम से प्रचार प्रसार किए जाने की योजना है। शासन से बजट मिल जाने पर विज्ञापनों के माध्यम से भी जनता को जागरूक किया जाएगा।
9-पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार व एसएसपी देहरादून की सराहना की- श्री राघव ने बताया कि उत्तराखंड में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार स्वयं भी इस बात को लेकर निरन्तर प्रयत्नरत हैं कि पुलिस की कार्यशैली जनता की अपेक्षा के अनुरूप हो। इसी तरह देहरादून के एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत भी अपने स्तर पर बेहतर व्यवस्था बनाने में प्रयत्नशील दिखाई दे रहे हैं।
10- प्राधिकरण मे श्री राघव की है सर्वाधिक उपयोगिता*- राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण मे अध्यक्ष जस्टिस बी.एस. वर्मा सहित सभी सदस्य बेहद अनुभवी है और पुलिस के किसी भी दूराचरण पर गंभीर दृष्टिकोण अपनाते हैं, परन्तु श्री राघव देहरादून के दिग्गज फौजदारी अधिवक्ता हैं, उन्होंने अनेकों मामलों में गहराई से पुलिस की भूमिका को परखा है।
साभार(सूर्यजागरण न्यूज पोर्टल, देहरादून)

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