नैनीताल। खानपुर से नव नियुक्त विधानसभा सदस्य उमेश कुमार शर्मा को शपथ ग्रहण से रोकने और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है।
आज होली अवकाश के बाद भी मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में हुई। पीठ ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओें को इस मामले में 23 मार्च को सुनवाई के दौरान जवाब देने को कहा है।
हरिद्वार लक्सर डाबकी कलां गांव निवासी वीरेन्द्र कुमार और जनता कैबिनेट पार्टी की भावना पांडे की ओर से चुनौती दी गयी है। दायर याचिका में कहा गया है कि उमेश शर्मा ने नामांकन पत्र में तथ्यों को छुपाया है। शपथपत्र में आपराधिक मामलों का पूरा विवरण नहीं दिया है।
याचिका में कहा गया है कि उनका आपराधिक इतिहास है। उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में 30 मामले दर्ज हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से आगे कहा गया है कि शर्मा की ओर से विधानसभा में नामांकन के दौरान फार्म 26 में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है। तथ्यों को छिपाया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से शर्मा को विधानसभा की शपथ लेने से रोकने की मांग की गयी है। इसके अलावा चुनाव आयोग से उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत कार्यवाही करने की भी मांग की गयी है।
पीठ ने याचिका की पोषणीयता पर उठाए सवाल, कहा, मामले को चुनाव याचिका के तहत क्यों नहीं चुनौती दी गयी?
पीठ ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं से पूछा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 80 व संविधान की धारा 329 के तहत इस मामले को चुनाव याचिका के तहत क्यों नहीं चुनौती दी गयी? याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले में जवाब देने के लिये 23 मार्च तक की मांग की गयी है। अब इस मामले में 23 मार्च को सुनवाई होगी।