नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा द्वारा अपने नामांकन पत्र के संलग्न शपथ पत्र में आपराधिक मुकदमों की जानकारी न देने के बावजूद उनका नामांकन पत्र स्वीकार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर आयोग को निर्देशित किए जाने संबंधी याचिका पर सुनवाई की।
खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। 6 मई को फैसला सुनाए जाने की तिथि नियत की है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। हरिद्वार निवासी रविंद्र सिंह पनियाला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा ने निर्वाचन से पूर्व 2021 में अपने ऊपर दर्ज मुकदमों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
उन्होंने दुराचार व अन्य मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनकी सुनवाई अन्य न्यायालयों से स्थानांतरित कर सुप्रीम कोर्ट में की जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्तूबर 2021 को यह याचिका खारिज कर दी थी।
दूसरी ओर, उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए मुकदमों की सूची की जानकारी 27 जनवरी को खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दाखिल नामांकन पत्र के साथ संलग्न शपथपत्र में नहीं दी। निर्वाचन अधिकारी ने भी उनका नामांकन पत्र जांच के बाद वैध घोषित कर दिया। याचिका में हाईकोर्ट से इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देशित करने की मांग
पूर्व में भी हरिद्वार जिले के वीरेंद्र कुमार ने भी उमेश शर्मा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की है। इसमें उमेश शर्मा पर आपराधिक रिकॉर्ड छुपाने के आरोप लगाए हैं। इससे पूर्व में भावना पांडे ने भी उमेश शर्मा को विधायक पद की शपथ लेने से रोकने को लेकर याचिका दायर की थी। ये मामले भी कोर्ट में विचाराधीन हैं।