देहरादून। राज्य सरकार ने नकली और नशीली दवाओं की जांच के लिए ड्रग इंस्पेक्टरों को पुलिस थाना प्रभारी के समान अधिकार दे दिए हैं। इससे अब ड्रग इंस्पेक्टरों को दवाओं से संबंधित मामलों की जांच करने और गिरफ्तारी करने का अधिकार मिल गया है।
सचिव स्वास्थ्य राधिका झा की ओर से मंगलवार को इस संदर्भ में अधिसूचना जारी की गई। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में नकली और मिलावटी दवाओं की जांच पुलिस से नहीं कराने को लेकर आदेश दिए थे। इसके बाद अब राज्य सरकार ने ड्रग इंस्पेक्टरों को इस तरह के मामलों की जांच के लिए अधिकार दे दिए हैं। इसके साथ ही नशीली दवाओं की बिक्री के संदर्भ में भी ड्रग इंस्पेक्टरों को यह अधिकार दिए गए हैं।
उत्तराखंड के साथ ही देश के कई राज्यों में नकली और मिलावटी दवाइयों के खिलाफ पुलिस जांच कर रही है। भगवानपुर समेत विभिन्न हिस्सों से नकली दवा का कारोबार सामने आया। प्रदेश में नशीली दवाओं का प्रचलन भी बढ़ रहा है। पुलिस मुकदमे भी दर्ज कर रही है लेकिन बाद में कोर्ट में आरोपी इस वजह से छूट जा रहे थे कि ऐसे मामलों की जांच पुलिस कर ही नहीं सकती। इसके बाद सरकार ने ड्रग ऐक्ट के साथ नारकोटिक एंड साइकोट्रापिक दवा की जांच व एफआईआर के लिए ड्रग इंस्पेक्टरों को पुलिस थाना प्रभारी के समान अधिकार दे दिए हैं।
उत्तराखंड में राज्य सरकार नशीली गोलियों की रोकथाम के लिए लगातार कदम उठा रही है। इस क्रम में पूर्व में सरकार ने नशे के रूप में उपयोग में लाई जाने वाली नारकोटिक व साइक्रोटॉपिक दवाओं का स्टॉक तय कर दिया है। इन दवाओं का उपयोग नशे के रूप में किए जाने की शिकायत के बाद यह आदेश किए गए। इसके बाद होलसेलर व रिटेलर को तय मात्रा से अधिक दवा रखने की इजाजत नहीं रही और उन्हें इन दवाओं की बिक्री का हिसाब भी रखना होगा। इससे मेडिकल स्टोर उक्त दवाओं की बिक्री मनमाने तरीके से नहीं कर पाएंगे।