पटना। बिहार में नीतीश कुमार ने सियासी पाला क्या बदला, लगता है तेजी से सबकुछ बदल रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि नीतीश और तेजस्वी सरकार में एक दिन पहले जिस कार्तिकेय सिंह ने कानून मंत्री पद की शपथ ली है, वो कानून की नजर में भगोड़े हैं। नये कानून मंत्री के लिए अपहरण मामले में गैर जमानती वारंट जारी है। ऐसे में आरजेडी कोटे से वो कैसे कानून मंत्री बन ये अपने आप में हास्यास्पद बात है। ताज्जुब की बात तो यह है कि मंगलवार को जिस समय वह कानून मंत्री पद की शपथ ले रहे थे उस समय कोर्ट में पेशी पर होना चाहिए था। इस मसले पर कल उनकी कोर्ट में पेशी की डेट भी लगी थी।
बिहार में नये कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ अपहरण का केस चल रहा है। इस मामले में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। पिछले कई महीनों से न तो बिहार की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया न ही कोर्ट के सामने पेशी करा सकी। यानि वो कानून की नजर फरार अपराधी हैं। कल तक उनको कोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। इसके बावजूद उन्हें नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनाया गया है। अधिवक्ता ज्योति शर्मा का कहना है कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। वो कानून की नजर में फरार अपराधी हैं। 16 जुलाई की डेट तक उन्हें कोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि नीतीश कुमार के ताजा कैबिनेट के 33 मंत्री में से 24 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। खुद तेजस्वी यादव के खिलाफ 11 मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
नये कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह बाहुबली अनंत सिंह के करीबी हैं और आरजेडी कोटे से एमएलसी भी है। इससे पहले 2005 में जीतन राम मांझी जब मंत्री बने थे तो उन पर घोटाले का आरोप था। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में केस में फैसला आने के बाद उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया था। इसी तरह 2020 में भी नीतीश के एक मंत्री पर घोटाले का आरोप था और मंत्री बनने के कुछ ही दिनों के अंदर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
बिहार सरकार में नये कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि उनके खिलाफ अपहरण का केस कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन उन्होंने कहा कि केस होना न होना अलग बात है। उसका साबित होना अलग बात है। फिलहाल, ये सब राजनीति है।