सरकारी उद्यान सतबूंगा में अफसरों ने कटवा दिए सेब के 1602 पेड़, निरीक्षण के बाद शासन ने दिए जांच के आदेश

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देहरादून। नैनीताल जिले में सतबूंगा राजकीय उद्यान में बगैर अनुमति के हार्ड पूू्रनिंग (तने से चार-पांच फीट की ऊंचाई से टहनियों को हेड बैक करना) के नाम पर सेब के 15 से 20 साल पुराने 1602 पेड़ों का कटान कर दिया गया। अपर निदेशक उद्यान की निरीक्षण आख्या में यह बात सामने आने से उद्यान महकमे में हड़कंप मचा है। इसमें उद्यान प्रभारी के अलावा नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। शासन ने इस प्रकरण की जांच के आदेश उद्यान निदेशक को दिए हैं।
उद्यान विभाग के अधीन पुराने राजकीय उद्यानों में शामिल सतबूंगा उद्यान का बीती 24 मार्च को अपर निदेशक डा.आरके सिंह ने आकस्मिक निरीक्षण किया। अब उद्यान निदेशक और शासन को भेजी गई उनकी निरीक्षण आख्या ने सबको चौका दिया हैं। आख्या में बताया गया है कि इस उद्यान में मौजूद सेब के पेड़ों से अधिक उत्पादन लेने के मद्देनजर प्रूनिंग (कटाई-छंटाई) और अन्य शस्य क्रियाएं अपनाने के 27 फरवरी को निर्देश दिए गए थे। इसके विपरीत उद्यान प्रभारी ने उद्यान के मातृवृक्ष खंड में मौजूद सेब के पेड़ों का बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति और समिति गठित कराए बगैर पूर्ण रूप से पातन कर एक तरह से उद्यान को ही समाप्त कर दिया गया।
निरीक्षण आख्या के अनुसार ऐसे खूबसूरत उद्यान कम से कम 20 वर्षों के अथक प्रयासों से बमुश्किल तैयार होते हैं। उसे एक झटके में समाप्त करना दुखद एवं कष्टकर है। इस उद्यान के पूर्व निरीक्षणों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यहां मातृवृक्ष अच्छी स्थिति में थे, जिन्हें पू्रनिंग व शस्य क्रियाओं के प्रबंधन की जरूरत थी। इससे इन्हें फलत में लाकर हर साल आठ से 10 लाख रुपये की आय होने की संभावना थी। अब इन पेड़ों का पातन किए जाने से उद्यान को तो क्षति पहुंंची ही, वन कानूनों का भी उल्लंघन हुआ है। इसके लिए उद्यान प्रभारी के साथ ही नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। आख्या में उद्यान प्रभारी के हवाले से बताया गया है कि सेब के पेड़ों की हार्ड पू्रनिंग का काम मुख्य उद्यान अधिकारी के निर्देशों के अनुपालन में किया गया।
उत्तराखंड कृषि एवं कृषक कल्याण के सचिव हरबंस सिंह चुघ का कहना हैै कि राजकीय उद्यान सतबूंगा से संबंधित निरीक्षण आख्या अपर निदेशक ने उद्यान निदेशक को भेजी है। इसकी प्रति शासन को भी भेजी गई है। प्रकरण संज्ञान में आने पर निदेशक उद्यान को इसकी जांच कराने के आदेश दिए गए हैं। बताया कि निरीक्षण में उद्यान में कार्यरत श्रमिकों की उपस्थिति पंजिका नहीं मिली। दैनिक श्रमिकों की तैनाती को स्वीकृति भी नहीं ली गई। रूट स्टाक आधारित पौधों की जरूरत को पूरा करने के लिए उद्यान में पौधे तैयार करने की बजाय बाहरी प्रदेशों से खरीद की गई। इससे विभाग को राजस्व की हानि हो रही है। उद्यान के लिए वर्ष 2019-20 में खरीदी गई 120 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट में से 95.10 क्विंटल का उपयोग ही नहीं किया गया।

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