उत्तराखंड में पशुओं की दवा खरीद में भी गड़बड़ी, सूचना आयुक्त ने लिखा जांच को

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देहरादून। उत्तराखंड में पशुओं के लिए दवाइयों की खरीद में लाखों रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। प्रथमदृष्टया मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा होने पर राज्य सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने मुख्य सचिव को जांच के लिए लिखा है। आरोप है कि दवा की सप्लाई करने वाली कंपनी ने जो इंजेक्शन उत्तराखंड को 49.50 रुपये में दिया है, वो इंजेक्शन यूपी में 21 रुपये और महाराष्ट्र के हिंगोली में 25.76 रुपये प्रति पीस के हिसाब से सप्लाई किए गए हैं।
हरिद्वार निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा ने मोथरोवाला देहरादून स्थित पशुपालन विभाग के निदेशालय से पशुओं के लिए खरीदी जाने वाली दवाइयों को लेकर सूचना मांगी थी। दवा को निदेशालय खरीदकर पशुपालकों तक मुफ्त में पहुंचाता है। खरीद से पहले सभी कंपनियों की ओर से एक डिक्लेरेशन दिया गया था कि जिस रेट पर वह उत्तराखंड को दवा दे रहे हैं, उस रेट से कम पर वह कहीं और सप्लाई नहीं करेंगे। 2019 से करोड़ों रुपये की दवा खरीदी गई है।
रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि कंपनी ने उत्तराखंड में महंगी दवा सप्लाई की है। जिस पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की थी। सूचना आयुक्त ने दो अगस्त को सुनवाई करते हुए मामले की जांच को मुख्य सचिव को कहा है। आयुक्त ने माना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में सत्यता प्रतीत होती है। इस प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जिस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना चाहिए था उसको काम कैसे दिया गया है। कंपनी की ओर से डाले गए टेंडर को निरस्त करना चाहिए था। क्योंकि कंपनी ने अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दर पर दवा सप्लाई के रेट दिए थे। अधिकारियों ने यह गड़बड़ी को तभी पकड़ लिया था। कंपनी को रेट कम करने के लिए पत्र भी लिखा गया। कंपनी ने कुछ दवाइयों के दाम कम किए और टेंडर कंपनी को ही दे दिया।

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