उत्तराखंड में आखिर कब बनेंगे नए जिले, मुख्यमंत्री की घोषणा से फिर जगी उम्मीद

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में नए जिलों के गठन की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘नए जिलों के गठन की मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है. इसे लेकर शीघ्र ही हम सभी जनप्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे कि प्रदेश के अंदर कहां-कहां जिलों का पुनर्गठन किया जा सकता है और इसके बाद इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को ने जिले बनने पर शंका है। वह कहते है की कहीं यह भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने का शिगूफा तो नहीं है। यदि भाजपा सरकार सच में ने जिले बनाने पर विचार कर रही है तो मैं इसका स्वागत करते हूं।
उत्तराखंड में अभी 13 जिले हैं। वर्ष 2011 में तत्कालीन रमेश पोखरियाल निशंक सरकार ने चार नए जिलों- रानीखेत, डीडीहाट, कोटद्वार और यमुनोत्री के गठन का शासनादेश किया था. अल्मोड़ा जिले का पुनर्गठन करके रानीखेत, पिथौरागढ़ जिले से डीडीहाट, पौड़ी जिले से कोटद्वार और उत्तरकाशी जिले से यमुनोत्री जिले बनाए जाने प्रस्तावित थे।
हालांकि, 2012 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह कवायद ठंडे बस्ते में चली गई. सत्ताधारी भाजपा ने राज्य मे नए जिलों के गठन को लेकर सरकार की योजना का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे राज्य का सर्वांगीण विकास होगा.
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिलों के पुनर्गठन के लिए जनप्रतिनिधियों से चर्चा की बात कही है और निश्चित रूप से लंबे समय से चली आ रही यह मांग मूर्त रूप लेगी।
इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने साफ कहा कि क्या जिले बनाने वाली खबर में कुछ सच्चाई है! केवल ध्यान हटाने के लिए यह शिगूफा छोड़ा जा रहा है कि कॉमन सिविल कोड, कोई कह रहा है भू कानून ताकि जो चूलें हिल गई हैं, भाजपा की भर्ती घोटाले और अन्य घोटालों से उससे ध्यान हटाया जा सके।
हरीश रावत के अनुसार, अगर सरकार सच में जिले बनाना चाहती हैं तो मैं सीएम धामी को बधाई दूंगा और कहूंगा कि हमने पूरा होमवर्क किया हुआ है. ऐसे में अगर आप इसको आगे बढ़ाएंगे तो आप सिकंदर साबित होंगे. उन्होंने साफ कहा कि अगर जिले बन रहे हैं तो कमिश्नरी भी बनाई जाए, जिससे काम आसान हो।

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