देहरादून। वीपीडीओ (ग्राम पंचायत विकास अधिकारी) भर्ती परीक्षा धांधली में आरोपी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के मालिक राजेश चौहान की स्पेशल विजिलेंस कोर्ट के प्रभारी जज ब्रजेंद्र सिंह ने जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। कोर्ट ने माना है कि चौहान को केवल इस मामले में अन्य आरोपियों के बयान पर आरोपी बनाया गया है। उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला इस बात के भी कोई प्रमाण नहीं हैं। 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर चौहान को जमानत दे दी गई है।
हालांकि, पेपर लीक मामले में चौहान जेल में ही बंद रहेगा। वीपीडीओ भर्ती-2016 में धांधली की जांच विजिलेंस से हटाकर एसटीएफ को दी गई थी। एसटीएफ के पास पहले से ही बहुत से साक्ष्य मौजूद थे, तो मामले में तत्काल कार्रवाई की गई थी। एसटीएफ ने आठ अक्तूबर को तत्कालीन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत समेत तीन पूर्व अफसरों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ का तर्क था कि रावत, तत्कालीन सचिव और परीक्षा नियंत्रक ने आरएमएस कंपनी के मालिक और कर्मियों संग मिलकर मकान में ओएमआर शीटों की स्कैनिंग की थी। इसके लिए धन भी इन लोगों को मिला था।
आरोपियों से पूछताछ पर एसटीएफ ने 11 अक्तूबर को कंपनी के मालिक राजेश चौहान को भी आरोपी बनाया था। स्पेशल विजिलेंस कोर्ट ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में रखने के आदेश दिए थे। अब राजेश की ओर से तीन दिन पहले जमानत अर्जी लगाई गई थी। जमानत पर बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि चौहान को केवल आरोपियों से पूछताछ पर आरोपी बनाया गया है। एसटीएफ के पास कोई लिखित साक्ष्य नहीं हैं। राजेश ने पैसा लेकर गड़बड़ी की इस बात के कोई प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने भी बचाव पक्ष की दलीलों को सही पाते हुए राजेश चौहान को जमानत दे दी।