जीएसटी चोरी में पांच साल की सजा: छह फर्म से व्यापार दिखा की थी छह करोड़ की जीएसटी चोरी

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हरिद्वार। छह फर्म के माध्यम से फर्जी तरीके से व्यापार दिखाकर छह करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी चोरी करने के मामले में आरोपी फर्म संचालक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद आर्य ने दोषी पाया है। कोर्ट ने संचालक को पांच साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जीएसटी के अधिकारियों की ओर से दावा किया गया है कि यह देश का पहला मामला है, जब जीएसटी अधिनियम 2017 के तहत सजा सुनाई गई है।
उपायुक्त कर निर्धारण/प्रभारी सीआईयू राज्य कर विभाग रोशनाबाद धर्मेंद्र राज चौहान ने आरोपी फर्म संचालक सुरेंद्र सिंह निवासी ए-1 सुभाष नगर, रामेश्वरम पुरम ज्वालापुर के खिलाफ कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें आरोप था कि सुरेन्द्र सिंह जीएसटी पोर्टल पर अपनी छह फर्म अपने परिजनों के नाम पर खुद ही चला रहा था। इन फर्मो को मेन पॉवर सप्लाई के लिए पंजीकृत कराया गया था। लेकिन इनके माध्यम से सेल, परचेज, आयरन, प्लाईवुड व अन्य कार्य दर्शाए गए हैं। यही नहीं, इन सभी फर्मों के कार्य के लिए कॉमन मोबाइल नंबर, ईमेल का इस्तेमाल ई बिल बनाने के लिए किया जा रहा था। आरोप लगाया था कि आरोपी ने जिन वाहन से माल को भेजना दिखाया है, ऐसे वाहन टॉल प्लाजा से क्रॉस व कुछ वाहन इतनी क्षमता के माल को ले जाने लायक ही नहीं है। आरोपी पर जिन फर्मों पर माल सप्लाई करना दर्शाया है, वह सभी फर्म फर्जी हैं। जिसपर कर विभाग ने आरोपी पर बिना माल सप्लाई के आईटीसी सरकार से क्लेम किया गया है, वह फर्म यूपी, दिल्ली व हरियाणा में पंजीकृत है। विभागीय जांच में आरोपी पर एक ही पैन नम्बर पर उत्तराखंड व उड़ीसा से कम्पनी का संचालन करने का खुलासा हुआ था। यही नहीं, जांच में 22 फर्मों को एक ही व्यक्ति, मोबाइल नम्बर व पैन नम्बर पर पंजीकृत का पता चला था। विभागीय जांच के दौरान आरोपी से पूछताछ करने के बाद करीब 17.01 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी को लाभ प्राप्त करते हुए उपयोग में लाया गया था।
विभाग के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने शिकायत दर्ज की थी। विभागीय अधिकारी धर्मेंद्र राज चौहान समेत पांच गवाह पेश किए गए।

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