वनाग्नि रोकने में सहयोग देने वालों का बीमा कराने को शासन को भेजेंगे प्रस्ताव

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पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिले में वनाग्नि घटनाओं की प्रभावी रोकथाम के लिए शुक्रवार को जिलाधिकारी आनन्द स्वरूप ने कई निदेॅश दिए। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटना की सूचना समय से प्राप्त हो इस हेतु सभी रेंज स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्षों को प्रभारी बनाते हुए सूचना के तत्काल बाद कम से कम समय पर रिस्पांस होना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि पर रोकथाम हेतु वन विभाग के साथ ही विभिन्न विभागों के अतिरिक्त स्थानीय जनता का भी सहयोग महत्वपूर्ण है। इस हेतु प्रत्येक गांव में ग्राम प्रधान,सरपंच वन पंचायत,क्षेत्रीय पटवारी,ग्राम विकास अधिकारी,वन आरक्षी की टीम दो दिन के भीतर गठित कर कार्यवाही सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं पर तत्काल कार्यवाही की जाय।जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि को बुझाने में जिन लोगों द्वारा विशेष सहयोग किया जा रहा है,उन्हें सम्मानित भी किया जाय, तथा जो व्यक्ति वनों में आग लगाते हुए पकड़े जाते हैं, उनके खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाय। उन्होंने कहा कि प्रत्येक रेंज स्तर पर एक अधिकारी को वनाग्नि रोकथाम व समन्वय हेतु नोडल अधिकारी नामित किया जाय, जो तत्काल कार्यवाही के साथ ही रेंज क्षेत्र की प्रतिदिन की रिपोर्ट मुख्यालय को उपलब्ध कराएंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जाए,ताकि वनाग्नि की घटना होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल मौके पर टीम भेजकर व स्थानीय लोगों की मदद से आग पर नियंत्रण किया जा सके।
जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम व उसके प्रभावी नियंत्रण हेतु आगामी वर्षों से प्रत्येक ग्राम पंचायत में तीन-तीन स्थानीय व्यक्तियों को मनरेगा से 3 मांह हेतु रखा जाय इस हेतु उन्होंने जिला विकास अधिकारी को अभी से प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। पालतू जानवरों हेतु बेहतर घास के उत्पादन हेतु भी मानव जनित वनाग्नि की घटनाओं की संभावना के मद्देनजर जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में स्थित चरागाह एवं गोचर की भूमि में पशुपालन, कृषि एवं वन विभाग मिलकर चाराघास का उत्पादन कराएं, जिससे ग्रामीणों को जानवरों हेतु घास आसानी से प्राप्त हो सके। उन्होंने युवक एवं महिला मंगल दलों से भी वनाग्नि की रोकथाम में सहयोग लेने की बात करते हुए, उन्हें आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराने के निर्देश विभाग को दिए।उन्होंने कहा कि वनाग्नि को रोके जाने जिन व्यक्तियों द्वारा सहयोग प्रदान किया जाता है, उनका वनाग्निकाल हेतु बीमा किए जाने पर भी वन विभाग विचार करते हुए शासन को प्रस्ताव भेजे।
बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी विनय कुमार भार्गव ने अवगत कराया कि जिले में मांह नवम्बर 2020 से वर्तमान तक कुल 191 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुल 326.25 हेक्टेयर वन प्रभावित हुआ है। विभाग द्वारा वनाग्नि की रोकथाम हेतु प्रभावी तौर पर तत्काल कार्यवाही की जा रही है। जिले में 77 क्रू स्टेशन,5 वाच टॉवर के अतिरिक्त जिला मुख्यालय में जिला आपदा नियंत्रण कक्ष्य को कंट्रोल रूम बनाया गया है, इनमें 24 घंटे कार्मिकों की तैनाती की गई है।उन्होंने कहा कि जिले में जिन क्षेत्रों में वनाग्नि की अधिक घटनाएं होती हैं, उन क्षेत्रों में अधिक संख्या में कार्मिकों की तैनाती के अतिरिक्त विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

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