शिक्षक लाखन लाल ने पेश की मिसाल: रायबरेली से आकर 26 साल मुनस्यारी में की पूरी नौकरी, अब हुए रिटायर

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पिथौरागढ़। 34 वर्ष की यंग ऐज में विज्ञान विषय में सहायक अध्यापक पद पर पहली नियुक्ति में वर्ष 1997 में राजकीय इंटर कालेज मुनस्यारी आए यूपी के राय बरेली के लाखन लाल मुनस्यारी के होकर यहीं रच एवं बस गए। 26 साल एक ही विद्यालय में सेवा करने के बाद 31 मार्च को 26 साल की प्रशंसनीय सेवा के बाद रिटायर हो गए। सरकारी सेवा के क्षेत्र में काला पानी के रूप में देखें जाने वाले मुनस्यारी में अनवरत रूप से शिक्षक लाखन लाल की सेवा उत्तराखंड में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
यह कोई फिल्म की कहानी नहीं, एक हकीकत है। यूपी में उत्तराखंड को पनिसमेंट क्षेत्र माना जाता था। आज उत्तराखंड में मुनस्यारी को भी इसी श्रेणी में रखा गया है। साथ में शिक्षक लाखन लाल जैसे शिक्षक एवं कर्मचारियों ने इस क्षेत्र को तमाम भौगोलिक विषमता, मूलभूत सुविधाओं के अभाव के बाद भी अपनाया ही नहीं स्वीकार कर अंगीकार भी किया है। एक सच्ची कहावत है कि उत्तराखंड के किसी भी जिले में कोई कार्मिक थोड़ी सी भी लापरवाही करे तो उसे कहां जाता है कि सुधर जा वर्ना मुनस्यारी भेज देंगे। हल्द्वानी में एक बार एक डीआईजी का बयान चर्चा में आया था कि ठीक ढंग से काम करों वरना मुनस्यारी भेज देंगे।
कल्पना कीजिए कि रायबरेली जैसे सुविधा जनक ज़िले का एक नौजवान 26 साल पहले सन् 1997 में अनगिनत कठीनाइयों से भरे मुनस्यारी में आया और यहीं का होकर रह गया।
आज भी मुनस्यारी के बारे में वर्षों से चली आ रहे सरकारी शब्द कोष नहीं बदले हैं। तब की कैसी स्थिति होगी।
उत्तर प्रदेश के जिला राय बरेली के ग्राम पंचायत सेवा खेरा मलरे जीगों पोस्ट आफिस तिलेण्डा निवासी लाखन लाल अपनी पत्नी श्रीमती फूलदुलारी के साथ मुनस्यारी आए।
पहली नौकरी की उत्सुकता तथा एक सुदूर क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं की कमियों के बीच लाखन लाल ने अपने को इस कदर ढ़ाल दिया कि यहां से बाहर जाने की कोशिश तक नहीं की।
एक जिम्मेदार शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाकर शिक्षक लाखन लाल ने शिक्षा के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया है। इस क्षेत्र के पुरातन छात्र तथा नवीन छात्रों के बीच लाखन लाल की भूमिका आर्दश शिक्षक की बनी हुई है।
मुनस्यारी में दो बच्चों का जन्म हुआ। बेटा सिद्धार्थ कुमार ने उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा में राज्य में पहली बार द्वितीय स्थान प्राप्त कर यहां के बच्चों के लिए सीढ़ी बनाकर प्रेरणा दी। उसके बाद यहां से राज्य स्तर पर बोर्ड परिक्षाओं में प्रथम भी बच्चे आने लगे है।
वर्तमान में सिद्धार्थ राजकीय पालीटेक्निक कालेज बहराइच में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता है और सिविल सेवा की तैयारियां कर रहे है।
पढ़ने में होनहार बेटी सुश्री रितम्बरा उड़ीसा के भुवनेश्वर में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डिविजनल एकाउंट के पद पर सेवारत है।
जोहारी समाज में रहते हुए शिक्षक लाखन लाल के दोनों बच्चे फर्राटा दार जोहारी बोली बोलते है।
खुद लाखन लाल तथा उनकी पत्नी भी जोहार बोली समझते है तथा बोलने का प्रयास भी करते है।
आज भी मुनस्यारी के मूल निवासी डाक्टर तथा शिक्षक रोज सुविधा जनक स्थानों में स्थानांतरित होने के लिए तिकड़म बाजी में लगे रहते है, उसी मुनस्यारी में लाखन लाल जैसे शिक्षक उदाहरण बन गए है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि शिक्षक लाखन लाल एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इसलिए पंचायत प्रतिनिधियों के साथ यहां के सभी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक संगठनों ने तय किया है कि शिक्षक लाखन लाल की ऐतिहासिक सेवा की तरह विदाई भी ऐतिहासिक की जाएगी।
इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारी बिनोद सिंह से बातचीत की गई है। उन्होंने कहा कि जोहार क्षेत्र की परम्परा है कि हम अतिथियों तथा उल्लेखनीय सेवा करने वालों को हमेशा सम्मान देते है।
विदाई समारोह में पुरातन छात्र एवं छात्राओं को भी आंमत्रित किया जाएगा।

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